दिल्ली, जेलों में बंद पहली बार अपराध करने वाले विचाराधीन कैदियों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 479 के तहत रिहा किया जाना कानूनी बाध्यता है। बशर्ते कि विचाराधीन कैदियों ने किए गए अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा की एक तिहाई अवधि जेल में काट ली हो। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 479 के दायरे में आए सभी नए अथवा पुराने विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।
ज्ञातव्य हो कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में प्रचलित भारतीय दंड संहिता सहित अन्य सभी कानूनों को गुलामी का प्रतीक बताते हुए समाप्त कर दिया। और भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता इस साल लागू किया है। इसी नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अन्तर्गत एएसजी ऐश्वर्या भाटी के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि लाभकारी प्रावधान सभी विचाराधीन कैदियों पर लागू होगा, चाहे उनकी गिरफ्तारी की तारीख कुछ भी हो।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने जेल अधीक्षकों को आदेश दिया कि वे उन पहली बार अपराध करने वाले कैदियों को जमानत देने के लिए कदम उठाएं, जो विचाराधीन कैदी के रूप में बंद हैं और अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा जेल में काट चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कैदियों की रिहाई के लिए अदालत में आवेदन करने की प्रक्रिया दो महीने के भीतर पूरी की जाए, जो धारा 479 के मानदंडों को पूरा करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में राज्य सरकार के संबंधित विभाग को रिपोर्ट करने को कहा है। जस्टिस कोहली ने कहा कि तय मानदंड को पूरा करने वाले विचाराधीन कैदियों को यह दिवाली अपने परिवार के साथ बिताने दें।
इसके साथ ही एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी अनुरोध किया कि ऐसे विचाराधीन कैदियों की जमानत पर रिहाई के प्रयास किए जाने चाहिए जो एक से अधिक अपराध में निरुद्ध हैं, लेकिन अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा का आधा हिस्सा जेल में काट चुके हैं। यद्यपि एसे विचाराधीन कैदियों को लाभ नहीं मिलेगा, जिनपर जघन्य अपराध करने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने राज्य सरकारों और संबंधित केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों से कहा कि वे इन दो श्रेणियों के विचाराधीन कैदियों की रिहाई का डेटा जुटाएं और दो महीने बाद सुप्रीम कोर्ट को स्टेटस रिपोर्ट पेश करें। न्यायालय ने मामले की सुनवाई अक्टूबर में तय की है।
The Supreme Court Order given to release on bail all new or old undertrial prisoners falling under section 479 of the Code.