दिल्ली ,चुनावी बॉन्ड योजना की खरीद में स्पष्ट रूप से हुए लेन-देन के मामलों की एसआईटी द्वारा अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’ स्कीम 2018 में शुरू की थी। इसके लागू होने के बाद कारपोरेट कंपनियां राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बांड के माध्यम से चुनावी चंदा देने के लिए बाध्य थीं। इलेक्टरल बॉन्ड में हुई धांधलियों के चलते इस स्कीम के विरोध में कई जनहित याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई। इसी साल फरवरी में अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था और कहा था कि यह नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।कानून
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश के तहत जांच का आदेश देना अनुचित और समय से पहले होगा, क्योंकि आपराधिक कानून प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाले सामान्य के तहत अन्य उपायों का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहाइसी प्रकार, आयकर निर्धारण को पुनः खोलने के मामले में इस प्रकृति का निर्देश जारी करना ऐसे तथ्यों पर निष्कर्ष निकालने के समान होगा, जो कि अनुचित होगा, क्योंकि यह ध्यान में रखना होगा कि ये सामान्य और घूमती हुई पूछताछ होगी।
सुनवाई के दौरान, अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने चुनावी बॉन्ड की खरीद की एसआईटी जांच के पक्ष में दलील पेश की। प्रशांत भूषण ने दलील दी कि, इस मामले में “एक प्रारंभिक जांच हो सकती है और उनके सुझाव के अनुसार, एक निरंतर जांच की आवश्यकता हो सकती है। यह अदालत जांच की निगरानी के लिए इस अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त कर सकती है। एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने कहा, “मूल्यांकन को फिर से खोलना होगा क्योंकि वे योगदान नहीं हैं। कुछ राजनीतिक दल दिखाते हैं कि पूरा अघोषित धन चुनावी बॉन्ड में जाता है।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट चुनावी बॉन्ड योजना की खरीद में स्पष्ट रूप से हुए लेन-देन के मामलों की एसआईटी द्वारा अदालत की निगरानी में जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर विचार करने से मना कर दिया है।
The Supreme Court rejected the petitions demanding a court-monitored investigation by the SIT into the electoral bond scheme purchase cases
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