दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए संबंधी याचिका पर फैसला देते हुए इसकी वैधता बरकरार रखी है। नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए को 1985 में असम समझौते के बाद पेश किया गया था। इस अधिनियम के तहत 25 मार्च 1971 के बाद भारत में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता नहीं मिल सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने 4-1 के बहुमत के फैसले से धारा 6A को वैध करार दिया है। सिर्फ जस्टिस जेबी पारदीवाला ने इस मुद्दे पर असहमति जतायी है । उल्लेखनीय है, कि पिछले साल 12 दिसंबर 2023 को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था।
नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए के मुताबिक जो बांग्लादेशी अप्रवासी 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक असम आए है, वो भारतीय नागरिक के तौर पर ख़ुद को रजिस्टर करा सकते हैं। जबकि, 25 मार्च 1971 के बाद असम आने वाले बांग्लादेशी अप्रवासी और अन्य विदेशी नागरिक भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया था कि 1966 के बाद से पूर्वी पाकिस्तान अब बांग्लादेश से अवैध शरणार्थियों के भारत में लगातार आने से राज्य का जनसांख्यिकी संतुलन बिगड़ रहा है। जिस से राज्यों के मूल निवासियों के राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों का हनन हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला देकर अवैध घुसपैठ को क़ानूनी मंजूरी दे दी है।
The Supreme Court upheld the validity of Section 6A of the Citizenship Act.
सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की वैधता बरकरार रखा।