दिल्ली, लोकसभा में मंगलवार को ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ बिल पेश हो गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बिल को सदन के पटल पर रखा। इस दौरान विपक्ष ने भारी हंगामा किया।
संविधान के 129वें अमेंडमेंट बिल और यूनियन टेरिटरी लॉ अमेंडमेंट बिल 2024 पेश किया गया। देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के उद्देश्य से यह बिल संसद में पेश किया गया है। केन्द्र सरकार का तर्क है कि, है दोनों चुनाव एक साथ होने से सरकारों का समय और धनराशि की बचत होगी। जबकि विपक्ष का दावा है कि यह संविधान के मूलभावना और संघवाद के खिलाफ है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।
‘वन नेशन वन इलेक्शन बिल सदन में पेश होने से पहले जनता दल-यूनाइटेड के सांसद संजय कुमार झा ने इस बिल का समर्थन करते हुए कहा कि, लोकसभा और विधानसभाओं का चुनाव एक साथ होना चाहिए। पंचायत और निकाय चुनाव को अलग से कराया जाना चाहिए। देश में जब चुनाव होने शुरू हुए तो ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ ही था। यह नया नहीं है। दिक्कतें तब आने लगीं जब कांगेस ने 1967 में राष्ट्रपति शासन थोपना शुरू किया। इसलिए हम इस विधेयक का समर्थन करते हैं। इससे पहले बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल का समर्थन किया है।
विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल के विरोध में शुरू से ही खड़ी है। आज कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ‘इस प्रकार का कदम राज्य की स्वायत्तता को कमजोर करता है। स्थानीय लोकतांत्रिक भागीदारी को घटाता है, और सत्ता के केंद्रीकरण का खतरा बढ़ाता है। यह भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करता है।
वहीं, सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने भी बिल का विरोध करते हुए कहा कि अभी दो दिन पहले संविधान की रक्षा का दम भर रही सरकार ने तुरंत अपनी मंशा इस बिल को पेश करके कर दिया है। इस बिल के जरिए सरकार तानाशाही का राह तलाशना चाहती है।
त्रिमूल कांग्रेस ने बिल का विरोध करते हुए इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया। वहीं। उद्धव शिवसेना ने भी बिल का विरोध किया। अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ कहा कि यह सब ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है। पहले लोगों से जुड़े मुद्दों पर बहस होनी चाहिए।
Union Law Minister Arjun Ram Meghwal introduced the ‘One Nation One Election’ bill in the House.