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उत्तराखंड: धामी सरकार के इस फैसले ने बढ़ाई सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों की चिंता - Separato Spot Witness Times
राज्य समाचार

उत्तराखंड: धामी सरकार के इस फैसले ने बढ़ाई सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों की चिंता

प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए बुरी खबर है। धामी सरकार ने उनके पिछले 11 साल की वरिष्ठता को रद्द कर दिया है। इस निर्णय से उन्हें वरिष्ठता और आर्थिक रूप से भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

 

देहरादून वन निगम के प्रबंध निदेशक एसपी सुबुद्धि ने बुधवार को सभी जीएम को कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए। इस निर्णय से नाराज वन निगम के कर्मचारियों ने 12 जुलाई से आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

 

वन विकास निगम में 1991 या उससे पहले दैनिक वेतन पर भर्ती हुए करीब 1800 स्केलर और समूह घ के कर्मचारियों को 2002 में नियमित किया गया था। वे कर्मचारी यूपी की नियमावली के अनुसार अपनी सेवा शुरू होने के दिन से ही विनियमित किए जाने की मांग कर रहे थे। कर्मचारी इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट गए। कई वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद फरवरी 2023 में सरकार ने यह फैसला सुनाया कि 2002 में नियमित हुए सभी कर्मचारियों को 1991 से ही सेवा का लाभ दिया जाएगा। इसका अर्थ है कि उन्हें 1991 से ही वरिष्ठता और वेतन भत्ते सहित सभी लाभ मिलेंगे।

 

सरकार के आदेश का पालन करते हुए निगम ने कर्मचारियों को वरिष्ठता और वेतन-भत्ते देना शुरू किया था। लेकिन अब लगभग डेढ़ साल बाद सरकार ने अचानक अपने आदेश को रद्द कर दिया और सभी की वरिष्ठता समाप्त कर दी, जिससे उनकी सेवाएं अब फिर से 2002 से ही गिनी जाएंगी। एमडी सुबुद्धि ने बताया कि निगम के अधिकारियों को सरकार के आदेश का पालन करने के निर्देश दे दिए गए हैं। वहीं वन विकास निगम कर्मचारी संगठन के प्रदेश महामंत्री प्रेम सिंह चौहान ने कहा कि यह निर्णय कर्मचारियों के साथ अन्याय है। शासन ने विभिन्न विभागों की राय के बाद वरिष्ठता दी थी और अब इसे निरस्त करने के खिलाफ वे आंदोलन करेंगे।

 

सरकारी आदेश के बाद कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन में कटौती का सामना करना पड़ सकता है। पिछले डेढ़ साल में दी गई वरिष्ठता के आधार पर वेतन और पेंशन की रिकवरी हो सकती है। साथ ही उन्हें मिले करीब डेढ़ से दो लाख रुपये एरियर की भी वसूली की जा सकती है।

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