अमेरिका की विश्व स्वास्थ्य संगठन से वापसी संबंधी कार्यकारी आदेश पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य संगठन खेद जताया।
दिल्ली , यूनाइटेड स्टेट्स के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण के बाद पहले ही दिन डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिका की विश्व स्वास्थ्य संगठन से वापसी संबंधी एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए गए ।दलंलविश्व स्वास्थ्य संगठन ने अमेरिका को वैश्विक स्वास्थ्य संगठन से बाहर निकालने के निर्णय पर खेद जताया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अमेरिकी प्रशासन से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है, क्योंकि इसका वैश्विक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। बता दें कि अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन को बहुत बड़ा आर्थिक सहयोग प्रदान करता है।
अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करके अमेरिका की विश्व स्वास्थ्य संगठन से वापसी की प्रक्रिया को औपचारिक रूप दिया। ट्रंप ने कहा कि, कोविड -19 के दौरान अमेरिका को अन्य प्रमुख देशों, जैसे चीन, की तुलना में ज्यादा योगदान देना पड़ा था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संयुक्त राज्य अमेरिका के योगदान को याद करते हुए कहा कि अमेरिका 1948 से विश्व स्वास्थ्य संगठन का संस्थापक सदस्य रहा है और वैश्विक स्वास्थ्य के प्रयासों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ‘पिछले 70 सालों में, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिका ने अनगिनत जिंदगियाँ बचाई हैं और सभी लोगों को स्वास्थ्य संकटों से सुरक्षा प्रदान की है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्मॉल पॉक्स और पोलियो को खत्म करने के करीब लाने जैसे संयुक्त प्रयासों को भी उजागर किया। संगठन ने यह भी कहा, “अमेरिकी संस्थाओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की सदस्यता से लाभ उठाया है और योगदान दिया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि, अमेरिका और अन्य सदस्य देशों की भागीदारी के साथ, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले 7 सालों में अपने इतिहास में सबसे बड़े सुधारों को लागू किया है, जिससे हमारी जवाबदेही, लागत-प्रभावशीलता और देशों में प्रभाव में सुधार हुआ है। फिलहाल, ये काम लगातार जारी है.
वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ट्रंप के निर्णय की आलोचना की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन में सुधारों की दिशा और इसके संभावित प्रभावों को लेकर चिंता जताई है। इस दौरान डच वायरोलॉजिस्ट मैरियन कूपमंस ने इस कदम को गंभीर बताते हुए कहा, “इसका मतलब है कि सभी कर्मियों और ठेकेदारों को रोका जाएगा। यह महामारी संधि वार्ता से वापसी का संकेत है। जो लोग इसका समर्थन कर रहे हैं, वे वैश्विक स्वास्थ्य के बारे में कुछ नहीं समझते।”
टीका शोधकर्ता प्रोफेसर पीटर होटेज़ ने भी इस फैसले को ‘निराशाजनक’ करार दिया और इसके परिणामों को लेकर चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “यह हमारे देश की जैव सुरक्षा/महामारी की तैयारी को कमजोर करेगा, खासकर जब एच5एन1, सार्स़़ जैसे कोेवीएस और, डेंगू और अन्य रोग तेजी से फैल रहे हैं, क्योंकि जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण बढ़ रहे हैं।
