देहरादून 20 अप्रैल 2022,
गोल्डन फारेस्ट कंपनी वर्ष 1995 के लगभग अस्तित्व में आने के बाद देहरादून में जमीनों का कारोबार शुरू किया। कंपनी ने इस दौरान देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में हजारों बीघा भूमि खरीदी थी। इसके लिए कम्पनी की ओर जनता से धन लेकर ज्यादा मुनाफा देने का लालच दिया गया। सेबी (सीक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया) के संज्ञान में आने पर कम्पनी के इस कारोबार पर सेबी ने रोक लगा दी थी।
कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने कंपनी के समस्त संचालकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। कंपनी का प्रकरण कोर्ट में लम्बे समय तक चलने के कारण समस्त संचालकों का जीवन जेल में ही बीता। गोल्डन फारेस्ट कंपनी के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को भंग कर कंपनी की सारी जमीन को राज्य सरकार में निहित करा दिया था।
इस प्रकरण पर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने समस्त जमीन की एकसाथ नीलामी कराने का आदेश जारी किया। हाक कैपिटल कंपनी ने 720 करोड़ रुपये में कंपनी की जमीन खरीदने का प्रस्ताव भेजा था।।
गोल्डन फारेस्ट की जमीन के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई कमेटी ने पिछले दिनों जिलाधिकारी देहरादून से मुलाकात कर जमीन का स्टेटस मांगा है। इस पर कार्रवाई करते हुए जिलाधिकारी ने सभी तहसीलों को दिन के भीतर जमीन का सत्यापन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
गोल्डन फारेस्ट कंपनी का विवाद सुप्रीम कोर्ट में लम्बे समय तक चलने के कारण भू-माफिया द्वारा कंपनी की कुछ जमीन खुर्दबुर्द की जाने की भी आशंका है।
उत्तराखंड सरकार के राजस्व विभाग द्वारा साढ़े चार सौ हेक्टेयर भूमि विभिन्न विभागों को आवंटित कर दी थी। यद्यपि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में रोक लगा दी है।