देहरादून 11 फरवरी 2022,
दिल्ली: सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन सीडीएससीओ के परीक्षण में 27 दवाईयों के सैम्पल गुणवत्ता मानकों में विफल सब स्टैण्डर्ड मिले हैं। सीडीएससीओ के मुताबिक परीक्षण में विफल रहने वाली दवाओं में 7 हिमाचल प्रदेश और शेष 18 दवाओं का निर्माण उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना और तमिलनाडु की इकाइयों में किया गया है। सीडीएससीओ ने दवाओं के 1,227 नमूने लिए थे, जिनमें से 1,200 गुणवत्ता परीक्षण में सफल रहे और 27 विफल रहे।
सीडीएससीओ के मुताबिक परीक्षण में विफल रहने वाली दवाओं में फेविपिरवीर शामिल है जिसका उपयोग कोविड -19 के इलाज में किया जाता है। अन्य दवाओं का उपयोग हार्ट अटैक, गैस्ट्रिक, गाउट और हाई बीपी के उपचार में किया जाता है. इनमें से सात दवाओं का निर्माण सोलन जिले के नालागढ़ और बद्दी में दवा यूनिट में, एक सिरमौर के पांवटा साहिब में और एक कांगड़ा जिले में स्थित एक कंपनी में किया गया था।
जुलाई 2020 में हुए जांच परीक्षण में हिमाचल के छह दवा उद्योगों में निर्मित दवाएं सब-स्टैंडर्ड पाई गई थी। ये उद्योग बद्दी, ऊना और कांगड़ा के थे। इसके अलावा सीडीएससीओ की पड़ताल में महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व गोवा के दवा उद्योगों में निर्मित 14 तरह की दवाएं भी गुणवत्ता मानकों पर प्रतिकूल पाई गई थी।
जून महीने में सीडीएससीओ ने देश भर के अलग-अलग राज्यों से 790 दवाओं के सैंपल एकत्रित किए थे। इनमें से जांच के दौरान 770 दवाएं गुणवत्ता के पैमाने पर सही पाई गई थी। लेकिन 20 दवाएं सब-स्टैंडर्ड पाई गई थी।