देहरादून 13 जनवरी 2023,
दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वाराणसी में दुनिया के सबसे लंबे रिवर क्रूज-एमवी गंगा विलास को झंडी दिखाकर रवाना किया और टेंट सिटी का उद्घाटन किया। उन्होंने 1000 करोड़ रुपये से अधिक की कई अन्य अंतर्देशीय जलमार्ग परियोजनाओं का भी उद्घाटन और शिलान्यास किया। रिवर क्रूज टूरिज्म को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री के प्रयास के अनुरूप, इस सेवा के लॉन्च होने पर भारत के लिए रिवर क्रूज टूरिज्म के एक नए युग का सूत्रपात हुआ है।
सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने भगवान महादेव की जय-जयकार की और लोहड़ी के शुभ अवसर पर सभी को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने हमारे त्योहारों में दान, आस्था, तपस्या और आस्था तथा उनमें नदियों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा यह नदी जलमार्ग से संबंधित परियोजनाओं को और अधिक महत्वपूर्ण बनाती है। उन्होंने कहा कि काशी से डिब्रूगढ़ तक के सबसे लंबे रिवर क्रूज को आज झंडी दिखाई जा रही है, जो विश्व पर्यटन मानचित्र पर उत्तर भारत के पर्यटन स्थलों को सामने लाएगा। उन्होंने कहा कि आज वाराणसी, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार, असम में समर्पित की जा रही एक हजार करोड़ रुपये की अन्य परियोजनाएं पूर्वी भारत में पर्यटन और रोजगार की संभावनाओं को बढ़ावा देंगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि, एक ओर नमामि गंगे के माध्यम से गंगा की सफाई का अभियान चलाया गया तो दूसरी ओर अर्थ गंगा का सहारा लिया गया। ‘अर्थ गंगा’ में जिन राज्यों से गंगा गुजरती है, वहां आर्थिक गतिशीलता का वातावरण बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने बताया कि इसमें सभी के लिए कुछ न कुछ खास है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता में रुचि रखने वालों के लिए काशी, बोधगया, विक्रमशिला, पटना साहिब और माजुली जैसे गंतव्यों को कवर किया जाएगा, एक बहुराष्ट्रीय क्रूज अनुभव की तलाश करने वाले पर्यटकों को बांग्लादेश में ढाका से होकर जाने का अवसर मिलेगा, और जो भारत की प्राकृतिक विविधता को देखना चाहते हैं, उनके लिए यह सुंदरबन और असम के जंगलों से होकर गुजरेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह क्रूज 25 विभिन्न नदी धाराओं से होकर गुजरेगा, इसलिए उन लोगों के लिए इस क्रूज का विशेष महत्व है, जो भारत की नदी प्रणालियों को समझने में गहरी रुचि रखते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का कार्यक्रम देश में 2014 के बाद की नीतियों, निर्णयों और दिशा-निर्देशों का प्रतिबिंब है। प्रधानमंत्री ने कहा, “21वीं सदी का यह दशक, भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर के कायाकल्प का दशक है। इस दशक में भारत के लोग, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की वह तस्वीर देखने जा रहे हैं, जिसकी कल्पना तक मुश्किल थी।” उन्होंने कहा कि घरों, शौचालयों, अस्पतालों, बिजली, पानी, रसोई गैस, शैक्षिक संस्थानों जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे से लेकर रेलवे, जलमार्ग, वायुमार्ग और सड़कों जैसे भौतिक संपर्क बुनियादी ढांचे तक, ये सभी भारत के तेजी से विकास के मजबूत संकेतक हैं। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में भारत सबसे अच्छा और सबसे बड़ा देख रहा है।
प्रधानमंत्री ने देश में परिवहन के इस मोड में समृद्ध इतिहास के बावजूद 2014 से पहले भारत में नदी जलमार्गों का कम इस्तेमाल होने के बारे में चर्चा की। 2014 के बाद, भारत इस प्राचीन शक्ति का उपयोग आधुनिक भारत के निर्माण के लिए कर रहा है। देश की बड़ी नदियों में जलमार्ग विकसित करने के लिए नया कानून और विस्तृत कार्ययोजना है। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 में देश में केवल 5 राष्ट्रीय जलमार्ग थे, अब देश में 111 राष्ट्रीय जलमार्ग हैं और लगभग दो दर्जन पहले से ही चालू हैं। इसी तरह, नदी जलमार्ग के माध्यम से कार्गो परिवहन में 8 साल पहले 30 लाख मीट्रिक टन से 3 गुना वृद्धि हुई है।कर्मचारियों और कुशल कार्यबल के प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि गुवाहाटी में एक कौशल विकास केंद्र स्थापित किया गया है और जहाजों की मरम्मत के लिए गुवाहाटी में एक नई सुविधा का निर्माण भी किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “क्रूज शिप हो या कार्गो शिप, ये न सिर्फ ट्रांसपोर्ट और टूरिज्म को बढ़ावा देते हैं, बल्कि इनकी सर्विस से जुड़ा पूरा उद्योग भी नए अवसर पैदा करता है।”
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, केंद्रीय जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल सहित अन्य लोग उपस्थित थे।