November 1, 2025

सुगम नहीं चाहिए, दुर्गम में ही देनी है सेवा…पहाड़ से अपना तबादला नहीं चाहते 3897 शिक्षक

 

उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के तहत इन दिनों शिक्षा विभाग में शिक्षकों और कर्मचारियों के तबादलों की प्रक्रिया चल रही है। इस प्रक्रिया के बीच शिक्षा निदेशालय और शासन में कुछ शिक्षकों को सुगम क्षेत्र के विद्यालयों में तबादलों के लिए विधायकों और मंत्रियों की सिफारिश लगाते देखा जा सकता है।

 

प्रदेश में इन दिनों शिक्षक जहां देहरादून और हरिद्वार समेत कुछ जिलों के सुगम विद्यालयों में तैनाती के लिए विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय तक के चक्कर लगा रहे हैं। वहीं, 3897 शिक्षक ऐसे हैं, जो सुगम में तबादलों के बजाए पहाड़ के दूरदराज के दुर्गम और अति दुर्गम विद्यालयों में ही अपनी सेवा देना चाहते हैं।

 

इन शिक्षकों ने विभाग को सुगम में तबादले के बजाए दुर्गम में ही बने रहने के लिए आवेदन दिया है। उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के तहत इन दिनों शिक्षा विभाग में शिक्षकों और कर्मचारियों के तबादलों की प्रक्रिया चल रही है।

 

 

 

इस प्रक्रिया के बीच शिक्षा निदेशालय और शासन में कुछ शिक्षकों को सुगम क्षेत्र के विद्यालयों में तबादलों के लिए विधायकों और मंत्रियों की सिफारिश लगाते देखा जा सकता है। जबकि तबादला एक्ट में स्पष्ट है कि कोई सरकारी सेवक तबादला आदेश के खिलाफ दबाव डलवाने का प्रयास करे तो उसके इस आचरण को सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली उल्लंघन मानते हुए उसके खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक नियमावली 2003 के अनुसार अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

 

इसके बावजूद विभाग में तबादलों के लिए सिफारिशी पत्र पहुंच रहे हैं। निदेशालय और शासन में सुबह से ही मंत्री या फिर उनके जनसंपर्क अधिकारी तबादलों के लिए अधिकारियों के आसपास दिखाई दे रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट के मुताबिक माध्यमिक शिक्षा में 3897 शिक्षकों ने दुर्गम और अति दुर्गम विद्यालयों में ही बने रहने के लिए विभाग में आवेदन किया है।

 

इन शिक्षकों ने स्पष्ट कहा है कि उन्हें सुगम क्षेत्र के विद्यालयों में तैनाती नहीं चाहिए। इसमें 1248 प्रवक्ता हैं। जबकि सहायक अध्यापक एलटी के गढ़वाल मंडल में 1543 और कुमाऊं मंडल में 1102 शिक्षक शामिल हैं। शिक्षा निदेशक के मुताबिक सुगम में तैनाती न चाहने वाले ये शिक्षक दुर्गम क्षेत्र के विद्यालयों में ही बने रहेंगे।

मिसाल हैं ये शिक्षक

 

शिक्षा विभाग के वे शिक्षक जो वर्षों से पहाड़ के दूरदराज के विद्यालयों में अपनी सेवा दे रहे हैं। इसके बाद भी वे सुगम में न आकर पहाड़ में ही बने रहना चाहते हैं। शासन, प्रशासन के उन अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए मिसाल हैं, जो पहाड़ में सेवा को सजा मानते हैं।

 

बढ़ेगी ऐसे शिक्षकों की संख्या

 

सुगम स्थान के बजाए पहाड़ में ही तैनाती चाहने वाले शिक्षकों की संख्या अभी बढ़ेगी। दुर्गम में तैनाती चाहने वाले 3897 शिक्षक माध्यमिक शिक्षा के हैं। अपर निदेशक बेसिक शिक्षा आरएल आर्या के मुताबिक जूनियर हाईस्कूल और प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के तबादले जिला स्तर से होते हैं। जिलों से इस तरह के शिक्षकों की सूचना अभी निदेशालय को नहीं मिली।

 

 

 

कई शिक्षकों को मिलेगा लाभ

 

प्रदेश के वे शिक्षक जो दुर्गम और अति दुर्गम विद्यालयों से अपना तबादला नहीं चाहते। वे शिक्षक तबादलों के लिए तय किए गए 15 प्रतिशत के दायरे में नहीं आएंगे। इससे उन शिक्षकों को लाभ मिलेगा जो वर्षों से दुर्गम से सुगम में नही आ पा रहे हैं।

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright2017©Spot Witness Times. Designed by MTC, 9084358715. All rights reserved. | Newsphere by AF themes.