November 1, 2025

मन की बात की 118वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बोले, संविधान सभा के सदस्यों के विचार, उनकी वो वाणी, हमारी बहुत बड़ी धरोहर है।

दिल्ली , मन की बात की 118वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा, इस बार का ‘गणतंत्र दिवस’ बहुत विशेष है। ये भारतीय गणतंत्र की 75वीं वर्षगाँठ है। इस वर्ष संविधान लागू होने के 75 साल हो रहे हैं। मैं संविधान सभा के उन सभी महान व्यक्तित्वों को नमन करता हूँ, जिन्होंने हमें हमारा पवित्र संविधान दिया। संविधान सभा के दौरान अनेक विषयों पर लंबी-लंबी चर्चाएं हुईं। वो चर्चाएं संविधान सभा के सदस्यों के विचार, उनकी वो वाणी, हमारी बहुत बड़ी धरोहर है। आज ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने डॉ भीमराव आंबेडकर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का स्मरण कराते हुए उनकी आडियो क्लिप सुनवाई।

श्री मोदी ने कहा, साथियो, जब संविधान सभा ने अपना काम शुरू किया, तो बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर जी ने परस्पर सहयोग को लेकर एक बहुत महत्वपूर्ण बात कही थी। बाबा साहब इस बात पर जोर दे रहे थे कि संविधान सभा एक साथ, एक मत हो, और मिलकर, सर्वहित के लिए काम करे।

श्री मोदी ने संविधान सभा के प्रमुख डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के भाषण के अंश का उद्धरण सुनवाया जिसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने कहा “हमारा इतिहास बताता है और हमारी संस्कृति सिखाती है कि हम शांति प्रिय हैं और रहे हैं। हमारा साम्राज्य और हमारी फतह दूसरी तरह की रही है, हमने दूसरो को जंजीरो से, चाहे वो लोहे की हो या सोने की, कभी नहीं बांधने की कोशिश की है। हमने दूसरों को अपने साथ, लोहे की जंजीर से भी ज्यादा मजबूत मगर सुंदर और सुखद रेशम के धागे से बांध रखा है और वो बंधन धर्म का है, संस्कृति का है, ज्ञान का है। हम अब भी उसी रास्ते पर चलते रहेंगे और हमारी एक ही इच्छा और अभिलाषा है, वो अभिलाषा ये है कि हम संसार में सुख और शांति कायम करने में मदद पहुंचा सकें और संसार के हाथों में सत्य और अहिंसा वो अचूक हथियार दे सकें जिसने हमें आज आजादी तक पहुंचाया है। हमारी जिंदगी और संस्कृति में कुछ ऐसा है जिसने हमें समय के थपेड़ों के बावजूद जिंदा रहने की शक्ति दी है। अगर हम अपने आदर्शों को सामने रखे रहेंगे तो हम संसार की बड़ी सेवा कर पाएंगे।”

‘मन की बात’ में श्री मोदी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के संविधान सभा में दिए गए भाषण की आडियो क्लिप सुनवाई। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था -मुझे उम्मीद है कि हम सभी कठिनाइयों के बावजूद अपने काम को आगे बढ़ाएंगे और इस तरह उस महान भारत का निर्माण करने में मदद करेंगे। यहां हर किसी को समान अवसर मिलेगा, ताकि वह अपनी सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा के अनुसार खुद को विकसित कर सके और भारत की महान मातृभूमि की सेवा कर सके। प्रधानमंत्री

ने कहा, हम देशवासी को, इन विचारों से प्रेरणा लेकर, ऐसे भारत के निर्माण के लिए काम करना है, जिस पर हमारे संविधान निर्माताओं को भी गर्व हो।

प्रधानमंत्री ने कहा, कुछ दिन पहले हमारे वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष क्षेत्र में ही एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने स्पेस डॉकिंग प्रयोग सफलतापूर्वक पूरा किया। जब अंतरिक्ष में दो स्पेस क्राफ्ट कनेक्ट किए जाते हैं, तो, इस प्रक्रिया को स्पेस डॉकिंग कहते हैं। यह तकनीक अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन तक सप्लाई भेजने और क्रू मिशन के लिए अहम है। भारत ऐसा चौथा देश बना है, जिसने ये सफलता हासिल की है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि आईआईटी मद्रास का एक्सटेम केंद्र अंतरिक्ष में मैन्युफैक्चरिंग के लिए नई तकनीकों पर काम कर रहा है। ये केंद्र अंतरिक्ष में 3डी- प्रिंटेड बिल्डिंग , मेटल फॉर्म् और ऑप्टिकल फाइबर जैसे तकनीकों पर रिसर्च कर रहा है। ये सेंटर, बिना पानी के कंक्रीट निर्माण जैसी क्रांतिकारी विधियों को भी विकसित कर रहा है। एक्सटेम की ये रिसर्च , भारत के गगनयान मिशन और भविष्य के स्पेस स्टेशन को मजबूती देगी। इससे मैन्युफैक्चरिंग में आधुनिक टेक्नोलॉजी के भी नए रास्ते खुलेगें।

श्री मोदी ने बोले , 10 साल पहले जब कोई स्टार्ट अप के क्षेत्र में जाने की बात करता था, तो उसे, तरह-तरह के ताने सुनने को मिलते थे। कोई ये पूछता था कि आखिर स्टार्ट अप होता क्या है? तो कोई कहता था कि इससे कुछ होने वाला नहीं है! लेकिन अब देखिए, एक दशक में कितना बड़ा बदलाव आ गया। आप भी भारत में बन रहे नए अवसरों का भरपूर लाभ उठाएं। अगर आप खुद पर विश्वास रखेंगे तो आपके सपनों को भी नई उड़ान मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे देश की महान विभूति, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 23 जनवरी यानि उनकी जन्म-जयंती को अब हम ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाते हैं। उनके शौर्य से जुड़ी इस गाथा में भी उनके पराक्रम की झलक मिलती है। कुछ साल पहले, मैं उनके उसी घर में गया था जहां से वे अंग्रेजों को चकमा देकर निकले थे। साहस तो उनके स्वभाव में रचा-बसा था। इतना ही नहीं, वे बहुत कुशल प्रशासक भी थे। नेताजी सुभाष का रेडियो के साथ भी गहरा नाता रहा है। उन्होंने ‘आजाद हिन्द रेडियो’ की स्थापना की थी, जिस पर उन्हें सुनने के लिए लोग बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते थे। उनके संबोधनों से, विदेशी शासन के खिलाफ, लड़ाई को, एक नई ताकत मिलती थी। ‘ मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन करता हूं। देश-भर के युवाओं से मेरा आग्रह है कि वे उनके बारे में अधिक-से-अधिक पढ़ें और उनके जीवन से निरंतर प्रेरणा लें।

 

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