December 16, 2025

71वां संविधान दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन में एक विशिष्ट सभा को संबोधित किया। विशिष्ट सभा की अध्यक्षता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा की गई।

देहरादून 26 नवंबर 2021,

दिल्ली: 71वां संविधान दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन में एक विशिष्ट सभा को संबोधित किया। विशिष्ट सभा की अध्यक्षता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा की गई। कार्यक्रम को पीएम मोदी के अलावा राष्ट्रपति कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संबोधित किया।

पीएम मोदी ने कहा कि, हमारा संविधान वर्षों की महान परंपरा, अखंड धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है । संविधान दिवस को इसलिए मनाना चाहिए, क्योंकि हमारा जो रास्ता है, वह सही है या नहीं है, इसका मूल्यांकन करने के लिए मनाना चाहिए। पीएम मोदी ने 13 साल पहले आज ही के दिन हुए मुंबई आतंकी हमले 26/11 में शहीद हुए जवानों को नमन किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, आज 26/11 हमारे लिए एक ऐसा दुखद दिवस है, जब देश के दुश्मनों ने देश के भीतर आकर मुंबई में आतंकवादी घटना को अंजाम दिया। देश के वीर जवानों ने आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया। आज मैं उन बलिदानियों को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

संविधान दिवस पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, आज का दिवस इस सदन को प्रणाम करने का है। इसी पवित्र जगह पर महीनों तक भारत के एक्टिविस्टों ने देश के उज्जवल भविष्य के लिए व्यवस्थाओं को निर्धारित करने के लिए मंथन किया था और संविधान रुपी अमृत हमें प्राप्त हुआ।

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर अपरोक्ष निशाना साधते हुए कहा, भारत एक ऐसे संकट की तरफ बढ़ रहा है, जो संविधान को समर्पित लोगों के लिए चिंता का विषय है, लोकतंत्र के प्रति आस्था रखने वालों के लिए चिंता का विषय है। हमारा संविधान सहस्त्रों वर्ष की महान परंपरा, अखंड धारा उस धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है। आज का दिवस बाबासाहेब अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद जैसे दुरंदेशी महानुभावों का नमन करने का है। आज पूज्य बापू को भी नमन करना है। आजादी के आंदोलन में जिन-जिन लोगों ने बलिदान दिया, उन सबको भी नमन करने का है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में आधिकारों को लिए लड़ते हुए भी, कर्तव्यों के निर्वहन के प्रति जागरूक रहने का संदेश दिया है। अच्छा होता अगर देश के आजाद होने के बाद कर्तव्य पर बल दिया गया होता। आजादी के अमृत महोत्सव में हमारे लिए आवश्यक है कि कर्तव्य के पथ पर आगे बढ़ें ताकि अधिकारों की रक्षा हो।

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