Uttrakhand, 28 October 2025, December
*प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज रबी सीजन 2025-26 (01.10.2025 से 31.03.2026 तक) के लिए फॉस्फेटिक और पोटाशिक (पीएंडके) उर्वरकों पर पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरें तय करने के उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। रबी सीजन 2025-26 के लिए अनुमानित बजटीय आवश्यकता लगभग 37,952.29 करोड़ रुपए होगी। यह खरीफ सीजन 2025 की बजटीय आवश्यकता से लगभग 736 करोड़ रुपए अधिक है।
डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और एनपीकेएस (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर) ग्रेड सहित पीएंडके उर्वरकों पर सब्सिडी रबी 2025-26 सीजन (01.10.2025 से 31.03.2026 तक लागू) के लिए अनुमोदित दरों के आधार पर प्रदान की जाएगी ताकि किसानों को सस्ती कीमतों पर इन उर्वरकों की सुचारू उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
फ़ायदे: ने किसानों को सब्सिडीयुक्त, किफायती और उचित मूल्य पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
उर्वरकों और आदानों की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में हाल के रुझान को देखते हुए पी एंड के उर्वरकों पर सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाया गया।
पृष्ठभूमि: सरकार उर्वरक निर्माताओं/आयातकों के माध्यम से किसानों को सब्सिडी वाले मूल्यों पर डीएपी सहित फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों के 28 ग्रेड उपलब्ध करा रही है। 1 अप्रैल, 2010 से फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों पर सब्सिडी, पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के तहत दी जाती है। सरकार, किसान हितैषी दृष्टिकोण के अनुरूप किसानों को सस्ती कीमतों पर फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यूरिया, डीएपी, एमओपी और सल्फर जैसे उर्वरकों और आदानों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हाल के रुझानों को देखते हुए सरकार ने डीएपी और एनपीकेएस ग्रेड सहित फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों पर 01.10.2025 से 31.03.2026 तक प्रभावी रबी 2025-26 सीजन के लिए एनबीएस दरों को मंजूरी देने का फैसला किया है। अनुमोदित और अधिसूचित दरों के अनुसार उर्वरक कंपनियों को सब्सिडी प्रदान की जाएगी ताकि किसानों को सस्ती कीमतों पर उर्वरक उपलब्ध कराए जा सकें।
*प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज 8वें केन्द्रीय वेतन आयोग के विचारार्थ विषयों को स्वीकृति दे दी।
आठवां केंद्रीय वेतन आयोग अस्थायी निकाय होगा। आयोग में एक अध्यक्ष, एक सदस्य (अंशकालिक) और एक सदस्य-सचिव शामिल होंगे। यह अपने गठन की तिथि से 18 महीनों के भीतर अपनी अनुशंसाएं देगा। यदि आवश्यक हो तो आयोग अनुशंसाओं को अंतिम रूप दिए जाने पर किसी भी मामले पर अंतरिम रिपोर्ट भेजने पर विचार कर सकता है। आयोग अपनी अनुशंसाएं देते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखेगा:
i. देश की आर्थिक स्थिति और राजकोषीय विवेक अर्थात सरकारी वित्तीय व्यवस्था के प्रबंधन तथा खर्च और राजस्व के संतुलन की आवश्यकता;
ii. यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि विकास व्यय और कल्याणकारी उपायों के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों;
iii. गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की गैर-वित्तपोषित लागत;
iv. राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति पर अनुशंसाओं का संभावित प्रभाव जो आमतौर पर कुछ संशोधनों के साथ अनुशंसाओं को स्वीकार करते हैं; और
v. केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध प्रचलित पारिश्रमिक संरचना, लाभ और कार्य स्थितियां।
पृष्ठभूमि : केंद्रीय वेतन आयोगों का गठन समय-समय पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के पारिश्रमिक ढांचे, सेवानिवृत्ति लाभों और अन्य सेवा शर्तों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार करने और उनमें आवश्यक बदलावों के संबंध में अनुशंसाएं देने के लिए किया जाता है। आमतौर पर वेतन आयोगों की अनुशंसाएं प्रत्येक दस वर्ष के अंतराल पर लागू की जाती हैं। इस प्रवृत्ति के अनुसार 8वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को सामान्यतः 01.01.2026 से लागू करना अपेक्षित है।
सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी ताकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और अन्य लाभों में बदलावों की जांच और उससे संबंधित अनुशंसा की जा सके।