दिल्ली, आज नारी शक्ति बंधन विधेयक पर लोकसभा में चर्चा के दौरान विपक्ष और सत्ता पक्ष ने अपने-अपने विचार रखें इस बीच सदन में दोनों पक्षों जोरदार नोक झोंक भी हुई। जिससे सदन में तनातनी का माहौल बन गया और और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को हस्तक्षेप करना पड़ा।
‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने अपने संबोधन में महिला आरक्षण का समर्थन किया और कहा कि इसे सदन से पास कराने के बाद तुरंत लागू करना चाहिए। परिसीमन और जणगणना का इंतजार नहीं करना चाहिए। इसके अलावा राहुल गांधी ने ओबीसी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार को चलाने वाले 90 सेक्रेट्री में से केवल तीन सेक्रेट्री ओबीसी हैं। सत्ता पक्ष की ओर से टोका टोकी होने पर राहुल गांधी बार-बार बोल रहे थे– “डर गए.. डर गए… डर गए…।”लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि ऐसे शब्द का इस्तेमाल सदन में नहीं करना चाहिए।
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को लोकसभा में ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को लेकर एक चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (INC) इस विधेयक का समर्थन करती है। विधेयक के पारित होने को लेकर हम सभी कांग्रेस के सदस्य बेहद खुश हैं, लेकिन हमें चिंता भी है। बिल को लेकर उन्होंने सवाल पूछा कि, भारत की महिलाएं पिछले 13 साल से अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों का इंतजार कर रही हैं। अब एक बार फिर उन्हें कुछ और साल और इतंजार करने के लिए कहा जा रहा है, कितने साल- 2, 4, 6 या फिर साल। क्या भारत की स्त्रियों के साथ ऐसा व्यवहार उचित है?
सोनिया गांधी ने कहा कि हमारी पार्टी की मांग है कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। साथ ही जाति जनगणना भी कराई जाए और एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था का मुद्दा उठाया।
समाजवादी पार्टी सांसद डिंपल यादव ने सदन में कहा, सपा की हमेशा से मांग रही है कि पिछड़ा वर्ग महिला तथा अल्पसंख्यक महिला को नारी शक्ति वंदन अधिनियम में शामिल किया जाए और इसमें उनको आरक्षण दिया जाए। लोकसभा और विधानसभा में यह महिला आरक्षण बिल तो लागू होगा लेकिन हम पूछना चाह रहे हैं कि राज्यसभा और विधान परिषद में लागू होगा कि नहीं? आने वाले चुनाव में यह लागू हो पाएगा की नहीं और 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में ये लागू हो पाएगा की नहीं? सवाल ये भी है कि जनगणना कब होगा और परिसीमन कब होगा?:
संसद में महिला आरक्षण विधेयक पर चल रही बहस में हिस्सा लेते हुए तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि यह विधेयक जुमले के अलावा कुछ नहीं है क्योंकि सच्चाई यह है कि 2029 में यह विधेयक धरातल से बहुत दूर होगा।
यह विधेयक महज एक दिखावा है और कोई ऐतिहासिक बिल नहीं है, जैसा कि इसे बताया जा रहा है। महिला आरक्षण के सवाल पर सरकार को कार्रवाई की जरूरत है, न कि विधायी रूप से इसे बनाकर लागू करने में देरी की जाए। यह बिल वास्तव में क्या कहता है? परिसीमन होने के बाद ही आरक्षण लागू होगा और अगली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित होने के बाद ही परिसीमन किया जाएगा।
आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद सुशील गुप्ता ने कहा कि इस बिल में स्पष्ट लिखा है कि ये आने वाले समय में लागू होगा। सुशील गुप्ता ने कहा कि पहले जनगणना होगी, फिर कई प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद सालों बाद इसे लागू किया जाएगा। कुछ पता नहीं यह कब लागू होगा। चाहे दस साल लग जाए या 20 साल लग जाए। यह केवल चुनावी जुमलों का स्थान नहीं होना चाहिए। महिलाओं को अगर हक देना है तो मोदी सरकार को 2024 के लिए योजना बनानी चाहिए और वही बिल लानी चाहिए।
केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सदन में दिए गए वक्तव्य में महिला आरक्षण बिल का श्रेय लेने वाले विपक्षी सांसदों की आलोचना की। स्मृति ईरानी ने कहा कि आज एक सम्मानित महिला (सोनिया गांधी) द्वारा महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान सदन को बताया गया कि संविधान में 73वें और 74वें संशोधन के लिए एक विशेष परिवार को श्रेय जाता है। लेकिन आज उन्होंने संसद में स्पष्ट किया कि यह काम पीवी नरसिम्हा राव ने किया था। स्मृति ईरानी ने कहा, ‘उन (पीवी नरसिम्हा राव) के निधन पर उनके पार्थिव शरीर को पार्टी मुख्यालय में नहीं रखने दिया गया।
ईरानी ने कहा कि उन्होंने (सोनिया गांधी) पूछा कि विधेयक अब क्यों लागू नहीं किया जाएगा? हम सब जानते हैं कि उन्हें संविधान को विकृत करने की आदत है। लेकिन हमारे लिए यह पवित्र है. क्या विपक्षी नेता चाहते हैं कि हम संविधान का उल्लंघन करें? फिर यह आरोप है कि मुसलमानों और ओबीसी के लिए आरक्षण क्यों नहीं? वे शायद नहीं जानते कि संविधान में धर्म-आधारित कोटा की अनुमति नहीं है।