पानी से आर्सेनिक और अन्य प्रदूषित करने वाले तत्वों को हटाने के लिए अमृत प्रौद्योगिकी: केन्द्रीय राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर।
दिल्ली, केन्द्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने आज राज्यसभा में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में जानकारी देते हुए बताया कि, भारत सरकार देश के सभी ग्रामीण परिवारों को पर्याप्त मात्रा, निर्धारित गुणवत्ता और नियमित और दीर्घकालिक आधार पर सुरक्षित और पीने योग्य नल के पानी की आपूर्ति करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस उद्देश्य से, भारत सरकार ने अगस्त 2019 में राज्यों के साथ साझेदारी में “जल जीवन मिशन” (जीजेएम) की शुरुआत की। पेयजल एक राज्य का विषय है, सरकार तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करके राज्यों को सहायता प्रदान करती है।
जल जीवन मिशन की शुरुआत के बाद से ग्रामीण घरों तक नल के पानी की पहुंच बढ़ाने की दिशा में देश में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। अगस्त 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत में, केवल 3.23 करोड़ (16.8%) ग्रामीण घरों में नल के पानी के कनेक्शन होने की सूचना थी। अब तक, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा 07.12.2023 की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 10.53 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को जेजेएम के तहत नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। इस प्रकार, 07.12.2023 तक, देश के 19.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से, लगभग 13.76 करोड़ (71.51%) परिवारों के घरों में नल के पानी की आपूर्ति होने की सूचना है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी- मद्रास ने पानी से आर्सेनिक और प्रदूषित तत्वों को हटाने के लिए ‘अमृत’ भारतीय प्रौद्योगिकी द्वारा आर्सेनिक और धातु निष्कासन नामक एक तकनीक विकसित की है। प्रौद्योगिकी नैनो-स्केल आयरन ऑक्सी-हाइड्रॉक्साइड का उपयोग करती है, जो पानी से गुजरने पर आर्सेनिक को हटा देती है। यह जल शोधक घरेलू और सामुदायिक दोनों स्तरों के लिए विकसित किया गया है। इसके अलावा, पानी और स्वच्छता से संबंधित सर्वोत्तम प्रौद्योगिकियों की जांच के लिए पेयजल और स्वच्छता विभाग की पूर्ववर्ती ‘स्थायी समिति’ द्वारा प्रौद्योगिकी की सिफारिश की गई है।
