November 1, 2025

मुम्बई: मुख्यमंत्री धामी ने मुम्बई कौथिग सीजन-15 में किया प्रतिभाग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज नवी मुंबई में आयोजित ‘मुम्बई कौथिग सीजन-15’ में प्रतिभाग कर कौथिग का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मुंबई में देवभूमि स्पोर्ट्स फाउंडेशन जैसी संस्थाएं न केवल अपने सामाजिक दायित्व को पूरा कर रही हैं बल्कि उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन में भी अहम भूमिका निभा रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कौथिग में भारी संख्या में आए दर्शकों और श्रोताओं को देखकर इस कार्यक्रम की सफलता का पता चलता है, जिसका श्रेय देवभूमि स्पोर्ट्स फाउंडेशन की पूरी टीम को जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब-जब उत्तराखंड के दौरे पर आते हैं तो इस बात का विशेष रूप से जिक्र करते हैं कि 21 वीं सदी का यह तीसरा दशक उत्तराखंड का होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी के कहे अनुसार उत्तराखंड को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए हमारी सरकार निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में देहरादून में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया था, जिसके लिए ढाई हजार करोड़ के एमओयू का हमने लक्ष्य तय किया था लेकिन हमने इससे कहीं ज्यादा साढ़े तीन लाख करोड़ के न केवल एमओयू किये बल्कि अब तक लगभग 46 हजार करोड़ की ग्राउंडिंग भी हो चुकी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कहा कि मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई है कि यहाँ पर पहाडों के लोक गीत, लोक नृत्य और संस्कृति के विविध रूप दर्शकों को देखने के लिए मिल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि हमारी युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक विरासत की ताकत को पहचानेगी तथा इसके विस्तार के लिए आगे आएगी।

उन्होंने कहा कि इस बार का कौथिग उत्तराखंड के पर्यटन, विकास और स्वरोजगार को समर्पित है। यह अद्वितीय आयोजन जहां एक ओर पर्यटकों को उत्तराखंड की सुंदरता से परिचित कराएगा, वहीं उत्तराखंड के चहुंमुखी विकास और पर्यटन की अपार संभावनाओं को भी प्रमोट करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सागर और पर्वतों के बिना हमारी जीवन रूपी रेखा अधूरी है, जैसे मुंबई के सागर की लहरें और हमारे उत्तराखंड के पहाड़, दोनों हमें कुछ न कुछ सीखने के लिए प्रेरित करते हैं।

दोनों की गंभीरता ,दोनों की सुंदरता,दोनों की शालीनता हमें सीख देती है कि चाहे कुछ भी हो जाए ,जीवन में हारना नहीं है।
यह संबंध हमें यह भी याद दिलाता है कि हम सभी, चाहे कहीं भी हों, एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार अपनी लोक संस्कृति एवं सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए गंभीर प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड देश और दुनिया का नम्बर वन पर्यटन प्रदेश बनने के साथ ही अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के कारण जल्द ही वैश्विक पटल पर सबसे बड़े कल्चरल हब के रूप में जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि आज पहाड़ी समाज को हर क्षेत्र में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है तो उसके पीछे हमारा लंबा संघर्ष, परिश्रम और सादगी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोगों ने 60-70 साल पहले जब महाराष्ट्र का रुख किया था तब वे छोटे कामों तक सीमित थे, परन्तु आज वक्त बदल गया है। आज शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां उत्तराखंड के लोग आपको न मिलते हों।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कौथिग के इस मंच पर आज उत्तराखंड के मुख्य सेवक के रूप में खड़ा हूं तो ये इस बात का द्योतक है कि हम तरक्की कर रहे हैं। उन्होंने प्रवासियों से आह्वान किया कि आप अपनी बोली-भाषा, संस्कृति और संस्कारों को न भूलें। क्योंकि जो समाज अपनी बोली भाषा और संस्कृति से दूर हो जाता है, उसका पतन उसी दिन शुरू हो जाता है। अपनी बोली भाषा, अपने खान पान और संस्कृति के बारे में अपने बच्चों को अवश्य बताएं। पीढ़ियों के मध्य ये अंतर नहीं आना चाहिए कि माता-पिता तो पहाड़ के हैं और हम मुंबईवासी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति में जो मधुरता है, विनम्रता है और एक अपनापन है, वो अपने आप में विशिष्ट है। हमारे खान-पान में, हमारे रहन-सहन में, हमारी बोल-चाल में, एक भावनात्मक लगाव है। हमारी मंडुवे की रोटी, झिंगोरे की खीर, पहाड़ी ककड़ी का रायता, आलू के गुटके, भट्ट का चुड़कानी, मूली की थीचयौणी, कंडाली के साग के स्वाद को कौन भूल सकता है।

उन्होंने कहा कि आज के इस अवसर पर आपसे आग्रह करूंगा कि आप सभी उत्तराखंड अवश्य आएं और हमारे प्रदेश की विशेषताओं का आनंद लें और जो उत्तराखंड के ही हैं, वे अवश्य वर्ष में एक बार परिवार सहित अपनी मातृभूमि आने का प्रयास करें। अपने आपको तथा अपने बच्चों को अपने गांव से, अपने मूल निवास से जोड़े रखिये, अपने ग्राम देवता, अपने कुल देवी – देवता से जोड़े रखिये।

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