October 31, 2025

बर्ड फ्लू पर केरल के बाद उत्तराखंड बॉर्डर पर सख्ती

 

नेपाली नागरिक पोल्ट्री कारोबार के लिए चम्पावत में बनबसा, चकरपुर और पिथौरागढ़ में धारचूला, झूलाघाट पर निर्भर रहते हैं। मुर्गियों के लिए दानापानी और उनकी तमाम प्रकार की महंगी दवाइयां भी नेपाल जातीं हैं।

 

बर्ड फ्लू को लेकर केरल में चल रही सख्ती उत्तराखंड से लगी नेपाल सीमा तक पहुंच गई है। प्रशासन ने शुक्रवार से एहतियातन भारत-नेपाल के बीच मुर्गियों को लाने ले जाने पर प्रतिबंध लगाया है। भारतीय पशुपालन विभाग सीमावर्ती इलाकों में इसकी निगरानी कर रहा है। भारत से व्यापारिक तौर पर नेपाल को मुर्गी व उनके चूजे ले जाए जाते हैं। इस फैसले से कारोबारियों को खासा नुकसान होने की आशंका है।

 

उत्तराखंड के चम्पावत और पिथौरागढ़ के सीमावर्ती कस्बों और शहरों से नेपाल को मुर्गियों की सप्लाई होती है। बर्ड फ्लू को लेकर शासन से अलर्ट मिलने के बाद चम्पावत से लगी नेपाल सीमा पर भी पशुपालन विभाग विशेष सतर्कता बरत रहा है।

 

नेपाली नागरिक पोल्ट्री कारोबार के लिए चम्पावत में बनबसा, चकरपुर और पिथौरागढ़ में धारचूला, झूलाघाट पर निर्भर रहते हैं। मुर्गियों के लिए दानापानी और उनकी तमाम प्रकार की महंगी दवाइयां भी भारत से ही नेपाल जाती हैं। लेकिन केरल राज्य में बर्ड फ्लू के बढ़ते प्रकोप को ध्यान में रखते हुए पशुपालन विभाग ने सख्ती कर दी है।

 

नेपाल से लगे बनबसा बाजार में जांच के लिए पशुपालन विभाग ने टीम बनाई हुई है। जिसमें पशु चिकित्सक डॉ. अमित कुमार और टनकपुर के डॉ. विजयपाल प्रजापति शामिल हैं। दोनों अधिकारियों ने बताया कि नेपाल के दोधारा-चांदनी से लेकर बनबसा के गड़ीगोठ और भैंसाझाला-लट्टाखल्ला तक जांच की जा रही है। अभी तक बर्ड फ्लू का कोई मामला सामने नहीं आया है।

 

बनबसा, खटीमा में आठ से अधिक पोल्ट्री फॉर्म

 

नेपाल से लगे बनबसा और खटीमा क्षेत्र के आठ पोल्ट्री फॉर्म से अक्सर मुर्गियां नेपाल ले जाई जाती हैं। इस पर प्रतिबंध के बाद टनकपुर, बनबसा, चकरपुर, खटीमा शहरों के कारोबारी प्रभावित होंगे। भारत से नेपाल मुर्गियों को कोई नेपाली नागरिक व्यापार के लिए बल्क में तो कोई दैनिक उपयोग के लिए ले जाते हैं। व्यापारिक दृष्टि से देखा जाए तो सौ से 150 मुर्गियों के चूजे नेपाली एक बार में ग्रामीण रास्तों से अपने वतन ले जाते हैं।

 

कई क्षेत्रों में जाती हैं मुर्गियां नेपाल के कंचनपुर जिले में ही अधिकांश रूप से भारत से मुर्गियां ले जाई जाती हैं। महेंद्रनगर, ब्रह्मदेव, खल्ला, मुसेटी, मझगांव, दोधारा, चांदनी समेत अन्य इलाकों में भी जाती हैं।

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