October 31, 2025

सात लोगों ने की आत्महत्या: दिव्यांग बच्चों के लिए NGO चलाता था परिवार, दून में पड़ोसियों ने बताई कई और बातें

पंचकूला में सामूहिक आत्महत्या करने वाला मित्तल परिवार देहरादून के कौलागढ़ में करीब तीन साल किराये पर रहा है। करीब एक साल पहले ही परिवार यहां से सब कुछ छोड़कर चंडीगढ़ रहने चला गया था। यहां प्रवीण मित्तल चाइल्ड लाइफ केयर मिशन नाम का एनजीओ चलाते थे, जो कि दिव्यांग बच्चों के लिए काम करता था।

कौलागढ़ में उनके पड़ोसियों ने परिवार को लेकर बहुत सी बातों को साझा किया। सभी उनके इस कदम से स्तब्ध नजर आए और कोई भी इस बात पर विश्वास करने के लिए राजी नहीं था। प्रवीण मित्तल की जेब से जो आधार कार्ड मिला था वह यहां 274 कौलागढ़ के पते का था। इस आधार पर हरियाणा के पंचकूला की पुलिस ने देर रात देहरादून पुलिस को इस सामूहिक आत्महत्या कांड के बारे में सूचना दी थी। एसएपी अजय सिंह ने बताया कि इस पते पर मित्तल परिवार तीन सालों तक रहा था, लेकिन करीब एक साल पहले यहां से चंडीगढ़ अपने मूल पते पर रहने चला गया था।

जिस कार में परिवार के सदस्य मृत पाए गए हैं, वह कार भी उनके दोस्त मालदेवता निवासी गंभीर सिंह नेगी के नाम पर है। गंभीर सिंह नेगी ने पुलिस को बताया कि उनकी मुलाकात प्रवीण मित्तल से उनके एनजीओ में काम करते वक्त हुई थी। दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई। इस पर प्रवीण मित्तल ने कहा था कि वह उनके नाम पर एक कार लेना चाहते हैं। गंभीर सिंह नेगी ने भी हामी भर दी और फाइनेंस करा कार अपने नाम पर खरीद ली। वर्ष 2021 से प्रवीण मित्तल इस कार को इस्तेमाल कर रहे थे।

कौलागढ़ में मित्तल परिवार की पड़ोसन रहीं राजकुमारी नौटियाल ने बताया कि परिवार बहुत ही मिलनसार था। परिवार के लोग पड़ोस में सभी के साथ अच्छे संबंध रखते थे। किसी से उनका विवाद नहीं होता था। हमें अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि मित्तल परिवार इस तरह का कदम उठा सकता है। उन्होंने यह मकान नौ हजार रुपये महीने किराये पर लिया था।

जब वे इस मकान को छोड़कर जा रहे तो राजकुमारी नौटियाल उनसे मिली थीं। नौटियाल बताती हैं कि मित्तल की पत्नी ने मकान छोड़ने का कारण किराया बढ़ाए जाने को बताया था। उस वक्त उन्होंने बताया था कि वह नींबूवाला में किराये पर मकान ले रहे हैं।

हालांकि, इसके बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हुआ। जिस मकान में मित्तल परिवार रहता था, वह दो बार बिक चुका है। अब इस मकान में किसी ठेकेदार का सामान पड़ा है और एक ट्रैक्टर खड़ा हुआ है।

पड़ोस में रहने वाली बच्ची मित्तल परिवार के बच्चों से अपनी दोस्ती को याद कर रही थी। सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली यह बच्ची बताती है कि दुर्विका, हार्दिक और डलिसा उसके अच्छे दोस्त थे। तीनों ब्लूमिंग बर्ड्स स्कूल में पढ़ते थे। स्कूल से आने के बाद सभी यहीं गली में खेलते थे। उनकी मां उससे भी दुलार करती थीं। बच्ची उनकी मृत्यु की बात सुनकर भावुक होकर अपने घर चली गई।

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright2017©Spot Witness Times. Designed by MTC, 9084358715. All rights reserved. | Newsphere by AF themes.