Delhi , 22 September 2025,
सुप्रीम कोर्ट में 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इन याचिकाओं में दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें उन्हें यूएपीए मामले में ज़मानत देने से इनकार कर दिया गया था। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। इन याचिकाओं पर पर अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
याचिकाकर्ताओं को फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के पीछे साजिश रचने के आरोपों में गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत निरुद्ध किया गया है। सभी याचिकर्ता फरवरी 2020 से न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने इसके पहले 2 सितंबर को शारजील इमाम, उमर खालिद सहित सात अन्य आरोपियों जिनमें मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, अतहर खान, शिफा-उर-रहमान, मोहम्मद सलीम खान, शादाब अहमद और खालिद सैफी शामिल हैं को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके अलावा इस मामले में एक अन्य आरोपी जिसका नाम तस्लीम अहमद है उसे भी कोर्ट की अलग बेंच ने जमानत नहीं दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बीती 19 सितम्बर को भी इन याचिकाओं पर सुनवाई की थी।और सुनवाई के लिए 22 सितम्बर की तारीख तय कर दी थी।
वहीं दिल्ली पुलिस ने इन आरोपियों की जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध किया है। दिल्ली पुलिस ने दावा करते हुए कहा कि दंगे सहज नहीं थे। बल्कि एक पूर्व नियोजित और सोची समझी साजिश का हिस्सा थे। दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत देने से इनकार करते हुए टिप्पणी की कि प्रथम दृष्टया उमर खालिद और शरजील इमाम की संलिप्तता ‘गंभीर’ प्रतीत होती है। कोर्ट ने उनके द्वारा कथित तौर पर दिए गए भाषणों का संज्ञान लिया। दिल्ली हाईकोर्ट कोर्ट के अनुसार ये दंगे सांप्रदायिक प्रकृति के थे और बड़े समूहों को उकसाने के इरादे से दिए गए थे। 2020 की हिंसा नागरिकता संशोधन अधिनियम सीएए और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बीच भड़की थी। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।