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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 126वीं 'मन की बात':देश को आत्मनिर्भर बनाकर के ही रहना है और उसका रास्ता स्वदेशी से ही आगे बढ़ता है। - Separato Spot Witness Times
राजनीतिक राष्ट्रीय समाचार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 126वीं ‘मन की बात’:देश को आत्मनिर्भर बनाकर के ही रहना है और उसका रास्ता स्वदेशी से ही आगे बढ़ता है।

Delhi , 28 September 2025,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 126वीं ‘मन की बात’ में देशवासियों को एक बार फिर प्रेरक संदेश दिए। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयन्ती, महर्षि वाल्मीकि जयंती, क्रांतीकारी शहीद भगत सिंह, सिनेमा जगत की पार्श्व गायिका ‘जीएसटी बचत उत्सव,घंीईी मंगेशकर और स्वयं सेवक संघ के शताब्दी वर्ष का स्मरण किया। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय संस्कृति, त्योहारों , महिला सशक्तिकरण, ‘जीएसटी बचत उत्सव” और वोकल फाॅर लोकल” आदि विषयों पर सीधे संवाद किया।

प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में अपने संबोधन की शुरुआत में कहा, आज भारत की दो महान विभूतियों की जयंती है। शहीद भगत सिंह और लता दीदी की। अमर शहीद भगत सिंह, हर भारतवासी, विशेषकर देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणापुंज है। निर्भीकता उनके स्वभाव में कूट-कूट कर भरी थी। देश के लिए फांसी के फंदे पर झूलने से पहले भगत सिंह जी ने अंग्रेजों को एक पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा था कि मैं चाहता हूँ कि आप मुझे और मेरे साथियों से युद्धबंदी जैसा व्यवहार करें। इसलिए हमारी जान फांसी से नहीं, सीधा गोली मार कर ली जाए। यह उनके अदम्य साहस का प्रमाण है। दूसरा आज लता मंगेशकर की भी जयंती है। भारतीय संस्कृति और संगीत में रुचि रखने वाला कोई भी उनके गीतों को सुनकर अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकता। उनके गीतों में वो सब कुछ है जो मानवीय संवेदनाओं को झकझोरता है। उन्होंने देशभक्ति के जो गीत गाए, उन गीतों ने लोगों को बहुत प्रेरित किया।

प्रधानमंत्री ने आज ‘मन की बात’ के श्रोताओं को दो जांबाज़ भारतीय नौसेना की ऑफिसर से मिलवाया। एक हैं लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना और दूसरी हैं लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा। समंदर में लगातार 8 महीने रह सकते हैं! क्या आप समंदर में पतवार वाली नाव यानि हवा के वेग से आगे बढ़ने वाली नाव से 50 हजार किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं, और वो भी तब, जब, समंदर में मौसम कभी भी बिगड़ जाता है! ऐसा करने से पहले आप हजार बार सोचेंगे, लेकिन भारतीय नौसेना की दो बहादुर officers ने नाविका सागर परिक्रमा के दौरान ऐसा कर दिखाया है। इन दोनों ने समुद्र में लगभग 47500 किलोमीटर पटवार वाली नाव का संचालन किया है। इन्होंने इस समुद्री यात्रा की शुरुआत 2 अक्टूबर 2024 को गोवा से की, तथा 29 मई 2025 को वापस गोवा वापस आए। इस यात्रा को सफल बनाने के लिए इनको कल 238 दिनों का समय लगा।

प्रधानमंत्री ने बताया कि, कुछ समय पहले भारत सरकार के प्रयासों से कोलकाता की दुर्गा पूजा यूनेस्को की सूची में शामिल हो गई है। हम अपने सांस्कृतिक आयोजनों को ऐसे ही वैश्विक पहचान दिलाएंगे तो दुनिया भी उनके बारे में जानेगी, समझेगी, उनमें शामिल होने के लिए आगे आएगी।

उन्होंने कहा कि मुझे आपको ये बताते हुए बहुत खुशी है कि भारत सरकार छठ पूजा को लेकर एक बड़े प्रयास में जुटी है। भारत सरकार छठ महापर्व को यूनेस्को की इनटेंजिबल कल्चरल हेरिटेज लिस्ट यानि यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल कराने का प्रयास कर रही है।

साथियों,

मां की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती है। गांधी जी ने हमेशा स्वदेशी को अपनाने पर बल दिया और इनमें खादी सबसे प्रमुख थी। दुर्भाग्य से आजादी के बाद, खादी की रौनक कुछ फीकी पड़ती जा रही थी, लेकिन बीते 11 साल में खादी के प्रति देश के लोगों का आकर्षण बहुत बढ़ गया है। पिछले कुछ वर्षों में खादी की बिक्री में बहुत तेजी देखी गई है। मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि 2 अक्टूबर को कोई ना कोई खादी उत्पादन जरूर खरीदें। गर्व से कहें – ये स्वदेशी हैं। इसे Social Media पर #Vocal for Local के साथ share भी करें।

प्रधानमंत्री ने मां की बात में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जिक्र करते हुए कहा, आज से 100 साल पहले जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी, तब देश सदियों से गुलामी की जंजीरों में बंधा था। सदियों की इस गुलामी ने हमारे स्वाभिमान और आत्मविश्वास को गहरी चोट पहुंचाई थी। विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता के सामने पहचान का संकट खड़ा किया जा रहा था। इसलिए देश की आजादी के साथ-साथ ये भी महत्वपूर्ण था कि देश वैचारिक गुलामी से भी आजाद हो। ऐसे में, परम पूज्य डॉ० हेडगेवार जी ने इस विषय में मंथन करना शुरू किया और फिर इसी भगीरथ कार्य के लिए उन्होंने 1925 में विजयादशमी के पावन अवसर पर ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की स्थापना की। डॉक्टर साहब के जाने के बाद परम पूज्य गुरु जी ने राष्ट्र सेवा के इस महायज्ञ को आगे बढ़ाया। परम पूज्य गुरुजी कहा करते थे – “राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम” यानी, ये मेरा नहीं है, ये राष्ट्र का है। इसमें स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्र के लिए समर्पण का भाव रखने की प्रेरणा है। गुरुजी गोलवरकर जी के इस वाक्य ने लाखों स्वयंसेवकों को त्याग और सेवा की राह दिखाई है। त्याग और सेवा की भावना और अनुशासन की सीख यही संघ की सच्ची ताकत है। आज आरएसएस सौ वर्ष से बिना थके, बिना रुके, राष्ट्र सेवा के कार्य में लगा हुआ है। इसीलिए हम देखते हैं, देश में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आए, आरएसएस के स्वयंसेवक सबसे पहले वहाँ पहुँच जाते हैं। लाखों लाख स्वयंसेवकों के जीवन के हर कर्म, हर प्रयास में राष्ट्र प्रथम की यह भावना हमेशा सर्वोपरि रहती है। मैं राष्ट्रसेवा के महायज्ञ में स्वयं को समर्पित कर रहे प्रत्येक स्वयंसेवक को अपनी शुभकामनाएं अर्पित करता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले महीने 7 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती है। हम सब जानते हैं, महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के कितने बड़े आधार हैं। ये महर्षि वाल्मीकि ही थे, जिन्होंने हमें भगवान राम की अवतार कथाओं से इतने विस्तार से परिचित करवाया था। उन्होंने मानवता को रामायण जैसा अद्भुत ग्रंथ दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में ‘जीएसटी बचत उत्सव’ भी मनाया जा रहा है। उन्होंने आह्वान किया कि, एक संकल्प लेकर आप अपने त्योहारों को और खास बना सकते हैं। अगर हम ठान लें कि इस बार त्योहार सिर्फ स्वदेशी चीजों से ही मनाएंगे, तो देखिएगा, हमारे उत्सव की रौनक कई गुना बढ़ जाएगी। ‘वोकल फाॅर लोकल’ को खरीदारी का मंत्र बना दीजिए। ठान लीजिए, हमेशा के लिए, जो देश में तैयार हुआ है, वही खरीदेंगे। जिसे देश के लोगों ने बनाया है, वही घर ले जाएंगे। जिसमें देश के किसी नागरिक की मेहनत है, उसी सामान का उपयोग करेंगे। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम सिर्फ कोई सामान नहीं खरीदते, हम किसी परिवार की उम्मीद घर लाते हैं, किसी कारीगर की मेहनत को सम्मान देते हैं, किसी युवा उद्यमी के सपनों को पंख देते हैं। दीपावली की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ लेकिन साथ-साथ फिर से दोहराऊँगा हमें आत्मनिर्भर बनना है, देश को आत्मनिर्भर बनाकर के ही रहना है और उसका रास्ता स्वदेशी से ही आगे बढ़ता है।

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