उन्नाव बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे कुलदीप सिंह सेंगर की , दिल्ली उच्च न्यायालय ने कड़ी शर्तों के साथ की सजा निलंबित
NEW DELHI, INDIA - MAY 26: View of Delhi High Court, on May 26, 2015 in New Delhi, India. (Photo by Pradeep Gaur/Mint via Getty Images
Delhi 23 December 2025,
2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट द्वारा दोषी ठहराकर उम्रकैद की सजा काट रहे कुलदीप सिंह सेंगर की , दिल्ली उच्च न्यायालय ने कड़ी शर्तों के साथ सजा निलंबित कर दी है। हाईकोर्ट ने 15 लाख के मुचलके और पीड़िता से दूरी और पुलिस को रिपोर्ट करने की शर्त रखी है। यह सत्ता और पुलिस के गठजोड़ का ऐसा हाई प्रोफाइल मामला है, जिसमें बलात्कार के साथ एक परिवार के दो लोगों की साज़िशन हत्या करवाने के आरोप लगाएं गए हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को निलंबित कर दिया है। अदालत ने 15 लाख के निजी मुचलके पर रिहाई का आदेश दिया और पीड़िता से 5 किमी दूरी बनाए रहने का निर्देश दिया। सेंगर को हर सोमवार पुलिस को रिपोर्ट करना होगा और अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा करना होगा।
इस मामले में पीड़िता ने आरोप लगाया कि जून 2017 में उसके साथ रेप किया गया. इसका आरोप उसने कुलदीप सेंगर पर लगाया. जब ये घटना हुई तब कुलदीप बीजेपी के विधायक थे. पीड़िता का आरोप है कि सेंगर ने घर पर बुलाकर उसके साथ रेप किया. साथ ही धमकी भी दी कि शिकायत की तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा. इसके साथ ही पीड़िता और उसके परिवार ने आरोप लगाया कि जून 2017 से मार्च 2018 तक कई बार पुलिस से शिकायत की लेकिन एफआईआर तक नहीं दर्ज की गई।
मार्च 2018 में पीड़िता ने दिल्ली में आत्मदाह की चेतावनी दी। 8 अप्रैल 2018 को पीड़िता ने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री आवास के बाहर खुद पर पेट्रोल डालकर आत्मदाह करने की कोशिश की। इसके बाद ये मामला देश में सुर्खियों में आया।
मामले के तूल पकड़ने पर 8-9 अप्रैल 2018 को इस केस में पहली एफआईआर दर्ज हुई। उधर, इस केस में नया मोड़ तब आया जब 9 अप्रैल 2018 को पीड़िता के पिता की आर्म्स एक्ट केस में गिरफ्तारी हो गई। तब परिवार ने आरोप लगाया कि ये कार्रवाई बदले की भावना से की गई। इसके बाद 9 अप्रैल 2018 को पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में पिटाई का मामला सामने आया। हालत गंभीर होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 10 अप्रैल 2018 को मौत हो गई। रेप केस के साथ ही मामला कस्टोडियल डेथ और साजिश का भी बन गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल 2018 को उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा। कोर्ट ने पूछा- क्या विधायक कानून से ऊपर है? इसके एक दिन बाद सीबीआई जांच का आदेश दे दिया। कोर्ट के आदेश के बाद 13 अप्रैल की रात ही कुलदीप की गिरफ्तारी हुई। कुछ समय बाद यह मुकदमा दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में स्थांतरित किया गया। 2019 में तीस हजारी कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को दोषी ठहराकर उम्रकैद की सजा सुनाई।
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कुलदीप सिंह सेंगर की सज़ा निलंबित करने पर पीड़िता की बहन ने कहा, “मैं इससे खुश नहीं हूं। उसने मेरे बड़े पापा को मारा और फिर मेरे पिता को मारा, फिर मेरी बहन के साथ यह घटना हुई। उसे रिहा कर दिया गया है, लेकिन हम अभी भी खतरे में हैं। कौन जानता है, अब जब वे बाहर आ गए हैं, तो वे मुझे और मेरे पूरे परिवार को मार सकते हैं। अगर उन्होंने उसे रिहा कर दिया है, तो हमें जेल में डाल देना चाहिए। कम से कम हमारी जान तो सुरक्षित रहेगी।
