सरकार को अपने खर्च को सावधानी से ‘टारगेट’ करने की जरूरत है, ताकि राजकोषीय घाटे को बहुत ऊंचाई पर पहुंचने से रोका जा सके: अर्थशास्त्री रघुराम राजन।
देहरादून 23 जनवरी 2022,
कारोबार जगत: प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने केंद्र सरकार को सलाह देते हुए कहा है कि ‘भारतीय अर्थव्यवस्था में चमकदार स्थितियों के साथ कुछ ब्लैक स्पॉट’ भी हैं, ऐसे में सरकार को अपने खर्च को सावधानी से ‘टारगेट’ करने की जरूरत है, ताकि राजकोषीय घाटे को बहुत ऊंचाई पर पहुंचने से रोका जा सके। अर्थशास्त्री राजन ने कहा कि सरकार को ‘के’ आकार की अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार को रोकने के लिए कुछ और उपाय करने की जरूरत है।
अर्थशास्त्री राजन के अनुसार कारोबार जगत में ‘के’ आकार के पुनरुद्धार में टैक्नोलॉजी और लार्ज केपीटल कम्पनीज की स्थिति में एक बड़े गैप के बाद छोटे व्यवसायों और उद्योगों की तुलना में तेजी से सुधार होता है। राजन ने ई-मेल के जरिये दिए गए वक्तव्यों में कहा कि, ”अर्थव्यवस्था के बारे में मेरी सबसे बड़ी चिंता मध्यम वर्ग, लघु एवं मझोले क्षेत्र और हमारे बच्चों को लेकर है। ये सारी चीजें दबी मांग से शुरुआती पुनरुद्धार के बाद ‘खेल’ में आएंगी।”
आईटी की स्थिति बहुत बेहतर है। राजन ने कहा कि इन सभी का ‘लक्षण’ कमजोर उपभोक्ता मांग है। बड़े स्तर पर इस्तेमाल वाले उपभोक्ता सामान की मांग बहुत कमजोर है। उन्होंने कहा कि इकानॉमी में अक्सर चमकदार स्थितियों के साथ गहरे काले धब्बे होते हैं। ब्राइट एरिया की बात की जाए, तो इसमें स्वास्थ्य सेवा कंपनियां आती हैं। इसके अलावा सूचना प्रौद्योगिकी और इससे जुड़े कई क्षेत्र जबर्दस्त कारोबार कर रहे हैं। कई क्षेत्रों में यूनिकॉर्न – एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन ,बने हैं और वित्तीय क्षेत्र के कुछ हिस्से भी मजबूत हैं।
बेरोजगाारी, कम क्रय शक्ति का जिक्र करते हुएर रघुराम राजन ने कहा, ”काले धब्बों की बात की जाए, तो बेरोजगाारी, कम क्रय शक्ति ( निम्न मध्यम वर्ग में), छोटी और मीडियम आकार की कंपनियों का वित्तीय दबाव इसमें आता है।” इसके अलावा काले धब्बों में ऋण की सुस्त वृद्धि और एजुकेशन भी आता है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी का न्यू वेरिएंट ओमीक्रोन चिकित्सकीय और आर्थिक गतिविधियों दोनों के लिए बड़ा झटका है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने सरकार को ‘के’ आकार के पुनरुद्धार के प्रति सचेत किया है। राजन ने कहा कि हमें ‘के’ आकार के पुनरुद्धार को रोकने के लिए हरसंभव उपाय करने चाहिए।
राजन ने महंगाई पर सरकार का समर्थन करते हुए कि, महामारी के आने तक भी भारत की राजकोषीय स्थिति अच्छी नहीं थी। ”यही वजह है कि वित्त मंत्री अब खुले हाथ से खर्च नहीं कर सकतीं।” उन्होंने कहा कि जहां जरूरत है, वहां सरकार खर्च करे। ”लेकिन हमें खर्च सावधानी से करने की जरूरत है, ताकि राजकोषीय घाटा बहुत ऊंचाई पर नहीं पहुंच जाए।” वहीं मुद्रास्फीति के बारे में पूर्व गर्वनर ने कहा कि इस समय दुनिया के ज्यादातर देशों के लिए ‘महंगाई’ चिंता का विषय है और भारत इसका अपवाद नहीं हो सकता। रघुराम राजन वर्तमान में शिकॉगो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर हैं।
