वैरिएंट कितना खतरनाक है, इस आधार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन उसे ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न यानी एक चिंताजनक वैरिएंट घोषित करता है।
देहरादून 10 फरवरी 2022,
विश्व स्वास्थ्य संगठन: वैश्विक महामारी कोरोना विभिन्न स्वरूपों में सामने आया है जिसके चलते विश्व में लाखों लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक कोरोना के पांच वैरिएंट्स- अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और ओमिक्रॉन को वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ घोषित किया गया है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि नए वैरिएंट्स ईजाद होने का ये सिलसिला अभी थमने वाला नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोविड-19 टेक्निकल लीड मारिया वान केरखोवे ने कहा है कि कोरोना का नया वैरिएंट और भी ज्यादा संक्रामक होगा, क्योंकि उसे मौजूदा वैरिएंट्स को ओवरटेक करना होगा। वो माइल्ड और गंभीर दोनों हो सकता है और हमारी इम्यूनिटी को मात दे सकता है।
बुधवार को कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉ टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयेसुस ने एक बार फिर चेतावनी जारी करते हुए कहा कि बीमारियों की कोई सीमा नहीं होती। कोई भी सुरक्षा की भावना अगले ही पल बदल सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन एक्सपर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन वान केरखोवे का मानना है कि ओमिक्रॉन कोरोना का आखिरी वैरिएंट नहीं है। हमें आगे भी इसके दूसरे वैरिएंट्स पाए जाने की खबर मिल सकती है। फिलहाल ये कहना मुश्किल है कि उन वैरिएंट्स में किस तरह के म्यूटेशन्स होंगे।
नेचर जर्नल की एक रिपोर्ट में वैज्ञानिक जेसी ब्लूम ने कहा है कि कोरोना वायरस कभी खत्म नहीं होगा। ये एंडेमिक स्टेज में आ जाएगा, यानी वायरस कमजोर हो जाएगा और लोग इसके साथ जीना सीख लेंगे। ये एक आम बीमारी हो जाएगी।
वैज्ञानिक एंड्रू रंबौट का कहना है कि ओमिक्रॉन का संक्रमण माइल्ड होने के कारण अगले वैरिएंट को भी माइल्ड समझना सही नहीं है। ऐसा हो सकता है कि आने वाला वैरिएंट खतरनाक हो।
वैज्ञानिकों के अनुसार ममय के अनुसार , किसी भी वायरस में समय के साथ बदलाव होते हैं, ताकि वो नेचर में सर्वाइव कर सके। जहां ज्यादातर वायरस अपने गुणों को बहुत ज्यादा नहीं बदलते, वहीं कुछ वायरस ऐसे भी होते हैं जिनमें वैक्सीन और इलाज से लड़ने के कारण बदलाव हो जाते हैं। इस तरह वायरस के नए वैरिएंट्स बनते हैं, जो हमारे लिए खतरा पैदा करते हैं।
लोगों के लिए एक वैरिएंट कितना खतरनाक है, इस आधार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन उसे ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न यानी एक चिंताजनक वैरिएंट घोषित करता है।
अल्फा वैरिएंट पहली बार सितंबर 2020 में ब्रिटेन में पाया गया था। बीटा वैरिएंट को सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका ने मई 2020 में डिटेक्ट किया था। गामा वैरिएंट ब्राजील में नवंबर 2020 में मिला था। डेल्टा वैरिएंट अक्टूबर 2020 में भारत में पाया गया था। ये अल्फा वैरिएंट से 60% ज्यादा संक्रामक है, इसलिए वैज्ञानिक इसे सुपर अल्फा भी कहते हैं। ओमिक्रॉन वैरिएंट को नवंबर 2021 में दक्षिण अफ्रीका ने रिपोर्ट किया। ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में बाकी वैरिएंट्स से ज्यादा म्यूटेशन्स हैं, जिसके कारण ये तेजी से फैलता है। स्पाइक प्रोटीन की मदद से ही वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश करता है।
