देहरादून 10 जनवरी 2025,
कारपोरेट जगत के कतिपय बड़े उद्यमी भारत में प्रचलित श्रम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए 70 से 90 घंटे प्रति सप्ताह काम करने की सलाह दे रहे हैं। इन उद्यमियों की अवधारणा से ऐसा प्रतीत होता है की यह लोग पुनः गुलामी युग की वापसी चाहते हैं। प्रश्न उठता है की यह गुलामी वाले कानून को श्रमिक संगठन अनुमति देते हैं या इन उद्यमियों के खिलाफ बड़ा श्रमिक आंदोलन खड़ा कर इनकी अवधारणा को यहीं समाप्त कर देते हैं।
वर्तमान में इंजीनियरिंग सेक्टर की दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टूब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन द्वारा देश में ‘हफ्ते में 90 घंटे काम का बयान बहस का मुद्दा बना हुआ है। इससे पहले इंफोसिस के को-फाउंडर ने भी सप्ताह में 70 घंटे काम की सलाह दी थी। इसके साथ ही एसएन सुब्रह्मण्यन ने हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह देते हुए ऐसा बयान भी दे दिया, जिसके चलते आलोचनाओं से घिरे हुए हैं। दरअसल, उन्होंने कर्मचारियों से ये तक कह दिया कि, ‘आप घर पर रहकर अपनी पत्नी को कितनी देर निहारोगे, घर पर कम और कार्यालय में अधिक समय बिताएं।
चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन को मोटा वेतन मिलता है। बिजनेस टुडे पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए एसएन सुब्रह्मण्यन का वेतन कुल 51 करोड़ रुपये था और उनके वेतन में बीते वर्ष की तुलना में 43.11% की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट की मानें तो सुब्रह्मण्यन के वित्त वर्ष 2024 के पैकेज में 3.6 करोड़ रुपये का मूल वेतन और 35.28 करोड़ रुपये के कमीशन के अलावा अन्य भत्ते व राशि शामिल थे। उनका वेतन कर्मचारियों के पैकेज से 534 गुना ज्यादा है।
सुब्रह्मण्यन के 90 घंटे काम और पत्नी को निहारने जैसे बयान के बाद लार्सन एंड टूब्रो की ओर से चेयरमैन की इस टिप्पणी पर सफाई भी जारी की गई। जिसमें सफाई कम बचाव ज्यादा नजर आ रहा है। इसमें कहा गया कि बीते 8 दशकों से अधिक समय से हम भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजनेस और तकनीकी क्षमताओं को आकार देने में लगे हैं. यह भारत का दशक है, एक ऐसा समय जिसमें ग्रोथ को और आगे बढ़ाने व एक विकसित राष्ट्र बनने के हमारे साझा दृष्टिकोण को साकार करने के लिए सामूहिक समर्पण और प्रयास की आवश्यकता है। कंपनी की ओर से कहा गया कि, हमारे अध्यक्ष की टिप्पणी इस बड़ी महत्वाकांक्षा को ही दर्शाती है, जो इस बात पर जोर देती है कि असाधारण परिणामों के लिए असाधारण प्रयास की आवश्यकता होती है।