देहरादून , मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने माणा में हिमस्खलन की चपेट में आए लापता 04 श्रमिकों की तलाश के लिए युद्धस्तर पर खोज और बचाव अभियान संचालित करने तथा मौसम विभाग द्वारा 03 मार्च से मौसम के दोबारा खराब होने की चेतावनी के दृष्टिगत रविवार को हर हाल में लापता श्रमिकों को ट्रेस करने के निर्देश दिए। उन्होंने सुरक्षित रेस्क्यू किए गए 46 श्रमिकों के उपचार की समुचित व्यवस्था करने तथा उनकी जरूरतों का पूरा ख्याल रखने के निर्देश दिए।
उत्तराखंड के चमोली में माणा के पास हुए हिमस्खलन में 54 श्रमिक फंस गए थे, 50 श्रमिकों को रेस्क्यू कर लिया गया था। 46 श्रमिकों का उपचार किया जा रहा है। 4 श्रमिकों की उपचार के दौरान दुखद मौत हो गई है। जबकि 4 श्रमिक लापता बताए गए हैं।
मुख्यमंत्री आज प्रातः राज्य आपदा परिचालन केंद्र पहुंचे और चमोली में हुई आपदा के सर्च एवं रेस्क्यू अभियान का अपडेट लिया। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली संदीप तिवारी से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से खोज एवं बचाव अभियान की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम विभाग द्वारा दिनांक 03 मार्च से दोबारा मौसम के खराब होने का अलर्ट जारी किया है, इसलिए आज ही रविवार को लापता श्रमिकों की तलाश के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी चमोली को मृतक श्रमिकों का पोस्टमार्टम कर उनके शवों को शीघ्रताशीघ्र उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था करने , और घायल श्रमिकों तथा मृतक श्रमिकों के आश्रितों को आपदा प्रबन्धन विभाग के प्रावधानों के अनुसार समुचित मुआवजा राशि मुहैया कराने के निर्देश दिए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राहत और बचाव दलों द्वारा सराहनीय कार्य किया गया, जिसके फलस्वरूप 46 श्रमिकों को सुरक्षित बचाया जा सका है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि लापता श्रमिकों की खोजबीन के लिए लगभग 200 लोग कार्यरत हैं। आपदा प्रबंधन सेना, आईटीबीपी, बीआरओ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, वायु सेना, यूकाडा, अग्निशमन विभाग, खाद्य विभाग द्वारा लगातार कार्य किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फरवरी और मार्च में हिमस्खलन की संभावना बढ़ जाती है, ऐसे में आपदा प्रबन्धन विभाग के माध्यम से एडवाइजरी जारी कर दी गई है। जो भी श्रमिक उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भेजने के निर्देश दिए गए हैं। जिन क्षेत्रों में भारी बर्फबारी के कारण विद्युत व्यवस्था तथा संचार व्यवस्था बाधित है, उन्हें दुरुस्त करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है। पांच ब्लाकों में विद्युत व्यवस्था बहाल कर दी गई है।