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प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच को पद्मश्री पुरस्कार से किया जाएगा सम्मानित - Separato Spot Witness Times
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प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच को पद्मश्री पुरस्कार से किया जाएगा सम्मानित

देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री में प्रदान किया जाता है। पुरस्कार विभिन्न विषयों / गतिविधियों के क्षेत्रों में दिए जाते हैं, जैसे। कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य और शिक्षा, खेल, सिविल सेवा, आदि। “पद्म विभूषण” असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए, ‘पद्म भूषण’ उच्च की विशिष्ट सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए आदेश और “पद्म श्री”। पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है।

 वर्ष 2024 के लिए, राष्ट्रपति ने नीचे दी गई सूची के अनुसार 2 युगल मामलों (एक युगल मामले में, पुरस्कार को एक के रूप में गिना जाता है) सहित 132 पद्म पुरस्कार प्रदान करने की मंजूरी दे दी है। सूची में 5 पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 110 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं, पुरस्कार विजेताओं में से 30 महिलाएं हैं और सूची में विदेशी / एनआरआई / पीआईओ / ओसीआई की श्रेणी से 8 व्यक्ति और 9 मरणोपरांत पुरस्कार विजेता भी शामिल हैं।

प्रदेश के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने 33 वर्षों तक शिक्षक के रूप में सेवाएं दी हैं। साथ ही इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में लंबे समय से योगदान दे रहे हैं। उनको पद्मश्री दिए जाने पर इतिहासकारों, साहित्यकारों, शिक्षकों, लेखकों, लोक कलाकारों व संस्कृति कर्मियों ने खुशी जाहिर करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी हैं।

. कठोच पौड़ी जनपद के एकेश्वर विकासखंड स्थित मांसों गांव के मूल निवासी हैं। उन्होंने 1974 में आगरा विवि से प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति तथा पुरातत्व विषय में विवि में प्रथम स्थान प्राप्त किया। वर्ष 1978 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के गढ़वाल हिमालय के पुरातत्व पर शोध ग्रंथ प्रस्तुत किया और विवि ने उन्हें डीफिल की उपाधि से नवाजा। एक शिक्षक के रूप में उन्होंने 33 साल सेवाएं दीं। वर्ष 1995 में वह प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए।

कठोच भारतीय संस्कृति, इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में निरंतर शोध कर रहे हैं। वह वर्ष 1973 में स्थापित उत्तराखंड शोध संस्थान के संस्थापक सदस्य हैं। उनकी मध्य हिमालय का पुरातत्व, उत्तराखंड की सैन्य परंपरा, संस्कृति के पद-चिन्ह, मध्य हिमालय की कला: एक वास्तु शास्त्रीय अध्ययन, सिंह-भारती सहित 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जबकि इतिहास तथा संस्कृति पर निबंध और मध्य हिमालय के पुराभिलेख पुस्तकें जल्द प्रकाशित होंगी

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