December 16, 2025

प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना क्रियान्वयन हेतु ,वित्तीय वर्ष 2020-21 से वित्तीय वर्ष 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के लिए 20050 करोड़ रुपए स्वीकृत।

दिल्ली, मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय वित्तीय वर्ष 2020-21 से वित्तीय वर्ष 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के लिए 20050 करोड़ रुपए की कुल लागत पर प्रमुख योजना प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) को कार्यान्वित कर रहा है। इस योजना में यह परिकल्पना की गई है कि 2024-25 तक 70 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त मत्स्य उत्पादित होगा, जल कृषि उत्पादकता को राष्ट्रीय औसत 3 टन से बढ़ाकर 5 टन प्रति हेक्टेयर किया जाएगा, पोस्ट हार्वेस्ट हानि को 25% से घटाकर लगभग 10% तक लाया जाएगा, लगभग 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे, मात्स्यिकी निर्यात को 46,589 करोड़ रुपए (2018-19) से बढ़ाकर 2024-25 तक 1 लाख करोड़ रुपए पर पहुंचाया जाएगा, पांच वर्षों की अवधि के दौरान प्रति व्यक्ति मछली की खपत(फिश कन्सम्पशन) को वर्तमान 5-6 किलोग्राम से बढ़ाकर 12 किलोग्राम किया जाएगा और मात्स्यिकी क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने तथा उद्यमिता के विकास को सुविधाजनक बनाया जाएगा ।

मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने विगत चार वित्तीय वर्षों (वित्त वर्ष 2020-21 से 2023-24) और वर्तमान वित्तीय वर्ष (2024-25) के दौरान पीएमएमएसवाई के अंतर्गत 8871.45 करोड़ रुपए के केंद्रीय अंश के साथ कुल 20864.29 करोड़ रुपए की लागत से विभिन्न राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों के मात्स्यिकी विकास प्रस्तावों को स्वीकृति दी है। विभिन्न पहलों/योजनाओं के माध्यम से सरकारों, मछुआरों, मत्स्य किसानों और अन्य मात्स्यिकी हितधारकों के सम्मिलित प्रयासों के परिणामस्वरूप अन्य उपलब्धियों के अलावा (i) विगत 5 वर्षों के दौरान देश में वार्षिक मत्स्य उत्पादन 2019-20 में 141.64 लाख टन से बढ़कर 2022-23 में 175.45 लाख टन के सर्वकालिक रिकॉर्ड तक पहुंच गया है, (ii) मात्स्यिकी विकास परियोजनाओं के कारण मत्स्यन और जल कृषि से संबंधित गतिविधियों में लगभग 58 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ (iii) मात्स्यिकी निर्यात 2019-20 में 46662.85 करोड़ रुपए से बढ़कर 2023-24 में 60524.89 करोड़ रुपए हो गया, (iv) प्रति व्यक्ति मत्स्य की खपत 5-6 किलोग्राम से बढ़कर 12-13 किलोग्राम हो गया, (v) जलीय कृषि उत्पादकता में 4.7 टन प्रति हेक्टेयर की वृद्धि, (vi) पोस्ट हार्वेस्ट हानि घटकर 10-15% हुई ।

मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने विगत चार वित्तीय वर्षों (वित्त वर्ष 2020-21 से 2023-24) और वर्तमान वित्तीय वर्ष (2024-25) के दौरान पीएमएमएसवाई के अंतर्गत 329.07 करोड़ रुपए केंद्रीय अंश के साथ 960.68 करोड़ रुपए की कुल लागत पर राज्य में मात्स्यिकी और जलकृषि के विकास के लिए गुजरात सरकार के मात्स्यिकी विकास प्रस्तावों को स्वीकृति दी है। पीएमएमएसवाई के अंतर्गत गुजरात राज्य के लिए स्वीकृत गतिविधियों में मुख्य रूप से रियरिंग और ग्रो आउट पॉण्ड का निर्माण, हैचरी की स्थापना, सी वीड कल्टीवेशन, जलाशयों और समुद्रों में केजों की स्थापना, री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) और बायोफ्लोक कल्चर यूनिट, पारंपरिक मछुआरों के लिए डीप सी फिशिंग वेसल्स, निर्यात क्षमता के लिए विद्यमान फिशिंग वेसल्स का अपग्रेडेशन, समुद्री मछुआरों को सुरक्षा किट प्रदान करना, कोल्ड स्टोरेज और आइस प्लांट्स का निर्माण, नई फिश फ़ीड मिलों और फ़ीड प्लांट्स का निर्माण और पोस्ट हार्वेस्ट ट्रांसपोर्ट यूनिट्स और कच्छ जिले के जखाऊ में एक स्मार्ट और इंटीग्रेटेड फिशिंग हार्बर का निर्माण शामिल है। इन स्वीकृत गतिविधियों से अन्य बातों के साथ-साथ गुजरात राज्य में परियोजना स्थलों के स्थानीय मछुआरों, मत्स्य किसानों और मात्स्यिकी से संबंधित अन्य हितधारकों को बहुमुखी (मल्टीफेरीयस) लाभ मिलेगा।

 

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