भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता:वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी, समावेशी और लचीली अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम,
Delhi 22 December 2025,
भारत और न्यूजीलैंड ने एक व्यापक, संतुलित और भविष्योन्मुखी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ भारत की सहभागिता में एक महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक उपलब्धि है। यह ‘विकसित भारत 2047’ के दृष्टिकोण अनुरूप, भारत के सबसे शीघ्र संपन्न हुए मुक्त व्यापार समझौतों में से एक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन से टेलीफोन पर बातचीत की। दोनों प्रधान मंत्रियों ने संयुक्त रूप से ऐतिहासिक, महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभकारी भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के सफल समापन की घोषणा की।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और न्यूजीलैंड के व्यापार एवं निवेश मंत्री टॉड मैक्ले के बीच हुई बैठक के दौरान 16 मार्च 2025 को औपचारिक वार्ता का शुभारंभ हुआ। 5 औपचारिक दौर की वार्ताओं और कई वर्चुअल बैठकों के बाद निरंतर चर्चाओं के माध्यम से यह समझौता संपन्न हुआ। इस मुक्त व्यापार समझौते के तहत आर्थिक साझेदारी रोजगार को बढ़ावा देती है, कौशल गतिशीलता को सुगम बनाती है, व्यापार एवं निवेश आधारित विकास को गति देती है, कृषि उत्पादकता के लिए नवाचार को प्रोत्साहित करती है और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने के लिए लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की भागीदारी को बढावा देती है।
व्यापार एवं निवेश मंत्री पीयूष गोयल ने समझौता वार्ता संपन्न होने पर कहा, “यह मुक्त व्यापार समझौता व्यापार को बढ़ावा देने, हमारे किसानों, उद्यमियों, छात्रों, महिलाओं और नवप्रवर्तकों के लिए नए अवसरों के साथ उपज और किसानों की आय को बढ़ाते हुए आधुनिक कृषि उत्पादकता को गति देता है। यह समझौता सुव्यवस्थित निर्यात के माध्यम से भारतीय व्यवसायों के लिए द्वार खोलता है और हमारे युवाओं को वैश्विक मंच पर सीखने, काम करने और आगे बढ़ने के विकल्प प्रदान करता है।
भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता के मुख्य बिंदु:
*टैरिफ, कृषि उत्पादकता, निवेश और प्रतिभा पर आधारित नई पीढ़ी का व्यापार समझौता: विकसित भारत 2047 के लिए एक लोक-केंद्रित, रोजगार-उन्मुख रणनीतिक साझेदारी
*भारत के शत-प्रतिशत निर्यात पर शून्य शुल्क बाजार पहुंच, भारत ने न्यूजीलैंड के साथ द्विपक्षीय व्यापार के 95 प्रतिशत हिस्से के लिए 70 प्रतिशत क्षेत्रों में टैरिफ उदारीकरण की पेशकश की
*16 मार्च 2025 को शुरू किसी विकसित देश के साथ हुआ सबसे तेज मुक्त व्यापार समझौता, वस्त्र, फार्मास्यूटिकल्स, चमड़ा, इंजीनियरिंग सामान, कृषि उत्पादों सहित सभी भारतीय निर्यातों के लिए इस वर्ष की शानदार उपलब्धि
*न्यूजीलैंड की भारत को अब तक की सर्वश्रेष्ठ बाजार पहुंच और सेवाओं की पेशकश, जिसमें कंप्यूटर संबंधी सेवाएं, पेशेवर सेवाएं, ऑडियो विजुअल सेवाएं, दूरसंचार सेवाएं, निर्माण सेवाएं, पर्यटन और यात्रा संबंधी सेवाओं सहित 118 सेवा क्षेत्र शामिल, लगभग 139 उप-क्षेत्रों में सर्वाधिक वरीयतापूर्ण राष्ट्र का दर्जा देने की प्रतिबद्धता
भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता के मुख्य बिंदु:
*न्यूजीलैंड में अध्ययन के बाद कार्य वीजा और पेशेवर अवसरों के माध्यम से बिना किसी संख्यात्मक सीमा के यह समझौता छात्रों की गतिशीलता को बढ़ावा देगा
*छात्र वैश्विक शिक्षा को वैश्विक अनुभव में बदल सकते हैं, इसके तहत विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए 3 वर्ष तक और डॉक्टरेट शोधार्थियों के लिए 4 वर्ष तक के अध्ययन के बाद कार्य करने का अधिकार
*5,000 पेशेवरों के लिए अस्थायी रोजगार प्रवेश वीजा और 1,000 कार्य तथा अवकाश वीजा का कोटा निर्धारित
*15 वर्षों की अवधि में 20 बिलियन डॉलर निवेश की प्रतिबद्धता
*सेब, कीवी और शहद के लिए उत्कृष्टता केंद्रों के माध्यम से कृषि उत्पादकता साझेदारी स्थापित की गई ताकि उत्पादकता और किसानों की आय को बढ़ावा दिया जा सके
*उत्पादकता सहयोग को सेब, कीवी और शहद के लिए सीमित बाजार पहुंच के साथ जोड़ा गया। यह कोटा और न्यूनतम आयात कीमतों से जुड़ा है, जिससे कि घरेलू उत्पादकों के लिए सुरक्षा उपायों के साथ ज्ञान हस्तांतरण को संयोजित किया जा सके
*किसानों और घरेलू उद्योगों को सुरक्षा देने के लिए बाजार पहुंच में डेयरी, कॉफी, दूध, क्रीम, पनीर, दही, व्हे, केसिन, प्याज, चीनी, मसाले, खाने के तेल, रबर शामिल नहीं
*भारत के विनिर्माण सेक्टर- लकड़ी के लट्ठे, कोकिंग कोयला, धातुओं का अपशिष्ट और स्क्रैप-के लिए शुल्क मुक्त इनपुट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इस वर्ष संपन्न हुआ भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता एक नई पीढ़ी की व्यापार साझेदारी का प्रतिनिधित्व करता है। यह विकसित भारत 2047 की परिकल्पना के तहत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी, समावेशी और लचीली अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
