श्रीहरिकोटा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो का तीसरा डॉकिंग प्रयास सफलता प्राप्त करने में चूक गया। यह स्पेडेक्स मिशन इसरो का सबसे चुनौतीपूर्ण मिशनों में से एक था। जिसका उद्देश्य दो अंतरिक्ष यानों को एक दूसरे से जोड़ना था, जो लगभग 8 किलोमीटर प्रति सेकंड (28,800 किलोमीटर प्रति घंटे) की गति से कक्षा में घूम रहे थे।
यह तकनीक आगामी चंद्रयान-4 और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। स्पेडेक्स मिशन के तहत डॉकिंग परीक्षण प्रयास शुक्रवार रात को मध्यरात्रि से शुरू हुए थे और शनिवार सुबह 7:06 बजे तक जारी रहे। दोनों अंतरिक्ष यानों, स्पेडेक्स ए और स्पेडेक्स बी (चेज़र और टारगेट) के बीच की दूरी को 230 मीटर से घटाकर 105 मीटर कर दिया गया था। यह प्रक्रिया सुबह 3:10 बजे तक पूरी हो गई और फिर दोनों अंतरिक्ष यानों को 15 मीटर की दूरी पर लाया गया। हालांकि, डेटा का विश्लेषण करने के बाद यह तय किया गया कि डॉकिंग प्रक्रिया को फिर से शुरू करना पड़ेगा।
इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, अंतिम डॉकिंग आदेश देने के समय प्रोक्सिमिटी और डॉकिंग सेंसर में किसी प्रकार की खराबी के संकेत मिले थे। इसके बाद प्रक्रिया को रोक दिया गया और दोनों अंतरिक्ष यानों को सुरक्षित दूरी पर लाया गया। इसरो के अनुसार, शून्य गुरुत्वाकर्षण में हल्के उपग्रहों को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण होता है। इस मिशन के तहत चेज़र और टारगेट उपग्रहों का वजन 220-220 किलोग्राम है। डॉकिंग के लिए दोनों उपग्रहों को एक सीधी रेखा में होना चाहिए और बहुत नियंत्रित गति से एक दूसरे से जुड़ना चाहिए। डॉकिंग प्रक्रिया 15 जनवरी तक पूरी की जाएगी, नहीं तो अगला अवसर मार्च में मिलेगा।