दिल्ली , वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति ने सत्तारूढ़ दल के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित 14 संशोधनों को आज मंजूरी दे दी है। जबकि विपक्षी सदस्यों के संशोधन प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया है। वक्फ संशोधन विधेयक पर संसदीय समिति के सदस्यों ने मसौदा विधेयक में 572 संशोधनों का सुझाव दिया था। संयुक्त संसदीय समिति ने घोषणा की कि मसौदा रिपोर्ट 28 जनवरी तक प्रसारित की जाएगी और फिर 29 जनवरी को औपचारिक रूप से अपनाई जाएगी। समिति की अगली बैठक 29 जनवरी को होगी।
संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि समिति द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों से वक्फ कानून बेहतर और प्रभावी होगा। वहीं विपक्षी सदस्यों ने मीडिया से कहा, यह हास्यास्पद कवायद थी। हमारी बात नहीं सुनी गई। समिति के अध्यक्ष ने तानाशाही तरीके से काम किया है।
संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष ने बताया कि, पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक थी। और बहुमत की राय को स्वीकार किया गया है। समिति द्वारा प्रस्तावित अधिक महत्वपूर्ण संशोधनों में से एक यह है कि मौजूदा वक्फ संपत्तियों पर उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ के आधार पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है, जो वर्तमान कानून में मौजूद है। नए संस्करण में इसे हटा दिया जाएगा, जहां संपत्तियों को केवल धार्मिक इस्तेमाल के उद्देश्यों के लिए लंबे समय तक उपयोग के आधार पर वक्फ की संपत्ति माना जा सकता है।
मतदान में एनडीए के 16 सांसदों ने संशोधनों के पक्ष में मतदान किया। जबकि 10 विपक्षी सदस्यों ने उनके खिलाफ मतदान किया। विधेयक के सभी 44 खंडों में शामिल विपक्ष के संशोधन, 10:16 बहुमत से खारिज हो गए।
बता दें कि, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू द्वारा आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था और इसके बाद संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया था। विधेयक का उद्देश्य वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्ति के विनियमन और प्रबंधन में आने वाली समस्याओं एवं चुनौतियों का समाधान किया जा सके।
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