दिल्ली , सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में मिले तथाकथित बेहिसाब कैश मामले में जांच के आदेश दिए। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। जो कमेटी यशवंत वर्मा के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के निर्देश पर गठित इस कमेटी में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागु, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल हैं।
वहीं जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा कि, परिवार के किसी सदस्य ने वहाँ तथाकथित नकदी नहीं रखी। वह राशि मेरी नहीं है। यह घटना षड्यंत्र का हिस्सा है। एक जज के लिए उसकी प्रतिष्ठा और चरित्र से बढ़कर कुछ नहीं होता है। इससे मेरी वर्षों की मेहनत और साख को नुकसान पहुंचा है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीके उपाध्याय ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर जस्टिस यशवंत वर्मा का 1 सितंबर 2024 से 22 मार्च 2025 तक का कॉल रिकॉर्ड और इंटरनल प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड मांगा है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने दिल्ली हाईकोर्ट को पत्र लिखकर कहा कि वे मोबाइल सेवा प्रदाताओं से जस्टिस वर्मा के आधिकारिक और अन्य मोबाइल नंबरों के कॉल रिकॉर्ड का डिटेल्स मांगे। उन्होंने पिछले छह महीनों में जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात रजिस्ट्री स्टाफ, निजी सुरक्षा अधिकारियों और सुरक्षा गार्डों की जानकारी भी इकट्ठा करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही जस्टिस यशवंत वर्मा से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
इस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जैसे ही ये डेटा हासिल होता है उसे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजा जाएगा। यह कदम भारत के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर जस्टिस वर्मा मामले की जांच को विस्तृत और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
Justice Yashwant Verma Case