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पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का मानना था कि मजबूत विपक्ष की अनुपस्थिति का अर्थ है कि व्यवस्था में महत्वपूर्ण खामियां:मल्लिकार्जुन खड़गे। - Separato Spot Witness Times
राजनीतिक

पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का मानना था कि मजबूत विपक्ष की अनुपस्थिति का अर्थ है कि व्यवस्था में महत्वपूर्ण खामियां:मल्लिकार्जुन खड़गे।

दिल्ली, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद के विशेष सत्र में अपने संबोधन में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का मानना था कि मजबूत विपक्ष की अनुपस्थिति का अर्थ है कि व्यवस्था में महत्वपूर्ण खामियां हैं।‌अगर मजबूत विपक्ष नहीं है तो यह ठीक नहीं है।अब जब एक मजबूत विपक्ष है, तो ईडी सीबीआई के माध्यम से इसे कमजोर करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उन्हें अपनी पार्टी में ले जाओ, उन्हें वॉशिंग मशीन में डाल दो और जब वे पूरी तरह साफ होकर बाहर आ जाएं तो उन्हें (अपनी पार्टी में) स्थायी कर दो। आप देख सकते हैं कि आज क्या हो रहा है।पीएम संसद में कम ही आते हैं और जब आते हैं तो इसे इवेंट बनाकर चले जाते हैं।

      वहीं कांग्रेस सांसद नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सदन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नेहरू ने ऐसे समय में सत्ता की बागडोर संभाली थी जब देश के विभाजन के कारण हजारों लोग मारे गये थे और चारों तरफ अफरातफरी का माहौल था. उन्होंने कहा कि नेहरू ने अपने कुशल नेतृत्व से देश की आर्थिक स्थिति में सुधार किया. चौधरी ने कहा, ”नेहरू सहित बहुत सारे लोगों ने देश को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया था।

अधीर रंजन चौधरी ने आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस नेताओं के ऐतिहासिक फैसलों का स्मरण कराते हुए कहा, ‘हमारी इस संसद में क्या क्या हुआ उसका छोटा सा ब्यौरा देना चाहता हूं। 1951 में रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट पारित हुआ था जिसने लोगों को वोट देने का अधिकार दिया। अगर वोट देने का अधिकार ना होता तो आज हमें बांकी बात करने की गुंजाइश नहीं मिलती। इसके बाद कमोडिटी एक्ट आया, हरित क्रांति आई..1974 में जब एटॅमिक विस्फोट हुआ था तो उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी। ये भी आपको याद दिलाते हैं। सूचना और प्रौद्योगिकी क्रांति राजीव गांधी लाए थे। अब तो हम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, स्वर्गीय राजीव गांधी ने इसकी शुरूआत की थी। हमें इतिहास को नहीं भूलना चाहिए, हिस्ट्री को हम कैंसल चैक नहीं बता सकते हैं।

 

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