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मन की बात की 101वीं कड़ी में प्रधानमंत्री का सम्बोधन। - Separato Spot Witness Times
राष्ट्रीय समाचार

मन की बात की 101वीं कड़ी में प्रधानमंत्री का सम्बोधन।

देहरादून 28 मई 2023,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के 101वें एपिसोड की शुरुआत, प्यारे देशवासियो, नमस्कार। ‘मन की बात’ में एक बार फिर, आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है, के संबोधन से की।  इस बार ‘मन की बात’ का ये एपिसोड सेकिण्ड सेंचुरी का प्रारंभ है। पिछले महीने हम सभी ने इसकी स्पेशल सेंचुरी को सेलिब्रेट किया है। आपकी भागीदारी ही इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी ताकत है।100वें एपिसोड के ब्रोडकास्ट के समय, एक प्रकार से पूरा देश एक सूत्र में बंध गया था।हमारे सफाईकर्मी भाई-बहन हों या फिर अलग-अलग सेक्टर के दिग्गज, ‘मन की बात’ ने सबको एक साथ लाने का काम किया है| आप सभी ने जो आत्मीयता और स्नेह ‘मन की बात’ के लिए दिखाया है, वो अभूतपूर्व है, भावुक कर देने वाला है। जब ‘मन की बात’ का प्रसारण हुआ, तो उस समय दुनिया के अलग-अलग देशों में, अलग-अलग टाइम जोन में, कहीं शाम हो रही थी तो कहीं देर रात थी, इसके बावजूद, बड़ी संख्या में लोगों ने 100वें एपिसोड को सुनने के लिए समय निकाला। बहुत सारे लोगों ने कंस्ट्रक्टिव एनालिसिस भी किया है। लोगों ने इस बात को एप्रिशियेट किया है कि ‘मन की बात’ में देश और देशवासियो की उपलब्धियों की ही चर्चा होती है। मैं एक बार फिर आप सभी को इस आशीर्वाद के लिए पूरे आदर के साथ धन्यवाद देता हूं।

मन की बात में प्रधानमंत्री ने पानी से जुड़ी चुनौतियों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि, जल संरक्षण से जुड़ा Start-Ups एक Start-Up है –FluxGen।ये Start-Up IOT enabled तकनीक के जरिए water management के विकल्प देता है। ये technology पानी के इस्तेमाल के patterns बताएगा और पानी के प्रभावी इस्तेमाल में मदद करेगा। एक और startupहैLivNSense। ये artificial intelligence और machine learning पर आधारित platform है। इसकी मदद से water distribution की प्रभावी निगरानी की जा सकेगी। इससे ये भी पता चल सकेगा कि कहाँ कितना पानी बर्बाद हो रहा है। एक और Start-Up है ‘कुंभी कागज (KumbhiKagaz)’। ये कुंभी कागज (KumbhiKagaz) एक ऐसा विषय है, मुझे पक्का विश्वास है, आपको भी बहुत पसंद आएगा। ‘कुंभी कागज’ (KumbhiKagaz) Start-Up उसने एक विशेष काम शुरू किया है। वे जलकुंभी से कागज बनाने का काम कर रहे हैं, यानी, जो जलकुंभी, कभी, जलस्त्रोतों के लिए एक समस्या समझी जाती थी, उसी से अब कागज बनने लगा है।

उन्होनें कहा कि, कई युवा अगर innovation और technology के जरिए काम कर रहे हैं, तो कई युवा ऐसे भी हैं जो समाज को जागरूक करने के mission में भी लगे हुए हैं जैसे कि छत्तीसगढ़ में बालोद जिले के युवा हैं। यहाँ के युवाओं ने पानी बचाने के लिए एक अभियान शुरु किया है। ये घर-घर जाकर लोगों को जल-संरक्षण के लिए जागरूक करते हैं। कहीं शादी-ब्याह जैसा कोई आयोजन होता है, तो, युवाओं का ये groupवहाँ जाकर, पानी का दुरूपयोग कैसे रोका जा सकता है, इसकी जानकारी देता है। पानी के सदुपयोग से जुड़ा एक प्रेरक प्रयास झारखंड के खूंटी जिले में भी हो रहा है। खूंटी में लोगों ने पानी के संकट से निपटने के लिए बोरी बाँध का रास्ता निकाला है। बोरी बांध से पानी इकट्ठा होने के कारण यहाँ साग-सब्जियाँ भी पैदा होने लगी हैं। इससे लोगों की आमदनी भी बढ़ रही है, और, इलाके की जरूरतें भी पूरी हो रहीं हैं। जनभागीदारी का कोई भी प्रयास कैसे कई बदलावों को साथ लेकर आता है, खूंटी इसका एक आकर्षक उदाहरण बन गया है। मैं, यहाँ के लोगों को इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

मेरे प्यारे देशवासियो, 1965 के युद्ध के समय, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। बाद में अटल जी ने इसमें जय विज्ञान भी जोड़ दिया था। कुछ वर्ष पहले, देश के वैज्ञानिकों से बात करते हुए मैंने जय अनुसंधान की बात की थी। ‘मन की बात’ में आज बात एक ऐसे व्यक्ति की, एक ऐसी संस्था की, जो, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान, इन चारों का ही प्रतिबिंब है। ये सज्जन हैं, महाराष्ट्र के श्रीमान् शिवाजी शामराव डोले जी। शिवाजी डोले, नासिक जिले के एक छोटे से गाँव के रहने वाले हैं। वो गरीब आदिवासी किसान परिवार से आते हैं, और, एक पूर्व सैनिक भी हैं। फौज में रहते हुए उन्होंने अपना जीवन देश के लिए लगाया।Retire होने के बाद उन्होंने कुछ नया सीखने का फैसला किया और Agriculture में Diploma किया, यानी,वो, जय जवान से, जय किसान की तरफ बढ़ चले। अब हर पल उनकी कोशिश यही रहती है कि कैसे कृषि क्षेत्र में अपना अधिक से अधिक योगदान दें। अपने इस अभियान में शिवाजी डोले जी ने 20 लोगों की एक छोटी-सी Team बनाई और कुछ पूर्व सैनिकों को भी इसमें जोड़ा। इसके बाद उनकी इस Team ने Venkateshwara Co-Operative Power & Agro Processing Limitedनाम की एक सहकारी संस्था का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया।ये सहकारी संस्था निष्क्रिय पड़ी थी, जिसे revive करने का बीड़ा उन्होंने उठाया। देखते ही देखते आज Venkateshwara Co-Operative का विस्तार कई जिलों में हो गया है। आज ये team महाराष्ट्र और कर्नाटका में काम कर रही है। इससे करीब 18 हजार लोग जुड़े हैं, जिनमें काफी संख्या में हमारे Ex-Servicemen भी हैं। नासिक के मालेगाँव में इस team के सदस्य 500 एकड़ से ज्यादा जमीन में Agro Farming कर रहे हैं। ये team जल संरक्षण के लिए भी कई तालाब भी बनवाने में जुटी है। खास बात यह है कि इन्होंने Organic Farming और Dairy भी शुरू की है। अब इनके उगाए अंगूरों को यूरोप में भी export किया जा रहा है। इस team की जो दो बड़ी विशेषतायें हैं, जिसने मेरा ध्यान आकर्षित किया है, वो ये है – जय विज्ञान और जय अनुसंधान। इसके सदस्य technology और Modern Agro Practices का अधिक से अधिक उपयोग कर रहे हैं। दूसरी विशेषता ये है कि वे export के लिए जरुरी कई तरह के certifications पर भी focus कर रहे हैं। ‘सहकार से समृद्धि’ की भावना के साथ काम कर रही इस team की मैं सराहना करता हूँ। इस प्रयास से ना सिर्फ बड़ी संख्या में लोगों का सशक्तिकरण हुआ है, बल्कि, आजीविका के अनेक साधन भी बने हैं। मुझे उम्मीद है कि यह प्रयास ‘मन की बात’ के हर श्रोता को प्रेरित करेगा।

श्री मोदी ने वीर सावरकर जी का स्मरण करते हुए कहा कि, आज 28 मई को, महान स्वतंत्रता सेनानी, वीर सावरकर जी की जयंती है। उनके त्याग, साहस और संकल्प-शक्ति से जुड़ी गाथाएँ आज भी हम सबको प्रेरित करती हैं। मैं, वो दिन भूल नहीं सकता, जब मैं, अंडमान में, उस कोठरी में गया था जहाँ वीर सावरकर ने कालापानी की सजा काटी थी। वीर सावरकर का व्यक्तित्व दृढ़ता और विशालता से समाहित था। उनके निर्भीक और स्वाभिमानी स्वाभाव को गुलामी की मानसिकता बिल्कुल भी रास नहीं आती थी। स्वतंत्रता आंदोलन ही नहीं, सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय के लिए भी वीर सावरकर ने जितना कुछ किया उसे आज भी याद किया जाता है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज नई दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम का 101वां संस्करण सुना।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण एवं संवर्धन की बात की। हमें जल संरक्षण की दिशा में निरंतर कार्य करने हैं। अमृत सरोवरों के निर्माण के साथ ही, जल स्रोतों के संरक्षण की दिशा में विशेष ध्यान देना है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मन की बात कार्यक्रम की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज इस कार्यक्रम से प्रेरणा लेकर देशभर में लोगों द्वारा सामाजिक सरोकारों से संबंधित अनेक कार्य किए जा रहे हैं।

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