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मन की बात की 107वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सम्बोधन। - Separato Spot Witness Times
राष्ट्रीय समाचार

मन की बात की 107वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सम्बोधन।

दिल्ली, मन की बात की 107वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन की शुरुआत में 26 नवंबर 2008 के आंतकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि, लेकिन आज 26 नवंबर हम कभी भी भूल नहीं सकते हैं।आज के ही दिन देश पर सबसे जघन्य आतंकी हमला हुआ था। आतंकियों ने, मुंबई को, पूरे देश को, थर्रा कर रख दिया था। लेकिन ये भारत का सामर्थ्य है कि हम उस हमले से उबरे और अब पूरे हौसले के साथ आतंक को कुचल भी रहे हैं। मुंबई हमले में अपना जीवन गंवाने वाले सभी लोगों को मैं श्रद्धांजलि देता हूँ। इस हमले में हमारे जो जांबांज वीरगति को प्राप्त हुए, देश आज उन्हें याद कर रहा है।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने ‘संविधान दिवस’ का स्मरण करते हुए बताया कि 26 नवंबर का आज का ये दिन एक और वजह से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।1949 में आज ही के दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था। मुझे याद है, जब साल 2015 में हम बाबा साहेब आंबेडकर की 125वीं जन्मजयन्ती मना रहे थे, उसी समय ये विचार आया था कि 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के तौर पर मनाया जाए।और तब से हर साल आज के इस दिन को हम संविधान दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। मैं सभी देशवासियों को संविधान दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ। और हम सब मिलकरके, नागरिकों के कर्तव्य को प्राथमिकता देते हुए, विकसित भारत के संकल्प को जरुर पूरा करेंगे।

साथियो, हम सभी जानते हैं कि संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन का समय लगा था। श्री सच्चिदानंद सिन्हा जी संविधान सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य थे।60 से ज्यादा देशों के संविधान का अध्ययन और लंबी चर्चा के बाद हमारे संविधान का Draftतैयार हुआ था।Draftतैयार होने के बाद उसे अंतिम रूप देने से पहले उसमें 2 हजार से अधिक संशोधन फिर किए गए थे।1950 में संविधान लागू होने के बाद भी अब तक कुल 106 बार संविधान संशोधन किया जा चुका है। समय, परिस्थिति, देश की आवश्यकता को देखते हुए अलग-अलग सरकारों ने अलग-अलग समय पर संशोधन किए। लेकिन ये भी दुर्भाग्य रहा कि संविधान का पहला संशोधन,Freedom of Speechऔर Freedom of Expression के अधिकारों में कटौती करने के लिए हुआ था। वहीँ संविधान के 44 वें संशोधन के माध्यम से, Emergencyके दौरान की गई गलतियों को सुधारा गया था।

 

उन्होंने ‘जल सुरक्षा’ को 21वीं सदी की बहुत बड़ी चुनौती बताया। जल का संरक्षण करना, जीवन को बचाने से कम नहीं हैं। जब हम सामूहिकता की इस भावना से कोई काम करते हैं तो सफलता भी मिलती है। इसका एक उदाहरण देश के हर जिले में बन रहे ‘अमृत सरोवर’ भी है।‘अमृत महोत्सव’ के दौरान भारत ने जो 65हजार से ज्यादा ‘अमृत सरोवर’ बनाए हैं, वो आने वाली पीढ़ियों को लाभ देंगे। अब हमारा ये भी दायित्व है कि जहां-जहां ‘अमृत सरोवर’ बने हैं, उनकी निरंतर देखभाल हो, वो जल संरक्षण के प्रमुख स्त्रोत बने रहें।

प्रधानमंत्री ने skill development की ओर ध्यान दिलाया। आज दुनिया भर में skill development के महत्व को स्वीकार्यता मिल रही है। जब हम किसी को कोई Skill सिखाते हैं, तो उसे सिर्फ हुनर ही नहीं देते बल्कि उसे आय का एक जरिया भी देते हैं। और जब मुझे पता चला एक संस्था पिछले चार दशक से Skill Development के काम में जुटी है, तो मुझे और भी अच्छा लगा। ये संस्था, आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में है और इसका नाम ‘बेल्जिपुरम Youth club’है।Skill development पर focus कर ‘बेल्जिपुरम Youth club’ने करीब 7000 महिलाओं को सशक्त बनाया है। इनमें से अधिकांश महिलाएं आज अपने दम पर अपना कुछ काम कर रही हैं। इस संस्था ने बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को भी कोई ना कोई हुनर सिखाकर उन्हें उस दुष्चक्र से बाहर निकालने में मदद की है।‘बेल्जिपुरमYouth club’की टीम ने किसान उत्पाद संघ यानि FPOs से जुड़े किसानों को भी नई Skill सिखाई जिससे बड़ी संख्या में किसान सशक्त हुए हैं। स्वच्छता को लेकर भी ये Youth club गांव–गांव में जागरूकता फैला रहा है। इसने अनेक शौचालयों का निर्माण की भी मदद की है। मैं Skill development के लिए इस संस्था से जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँउनकी सराहना करता हूँ। आज, देश के गाँव-गाँव में Skill development के लिए ऐसे ही सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। जब किसी एक लक्ष्य के लिए सामूहिक प्रयास होता है तो सफलता की ऊंचाई भी और ज्यादा हो जाती है। मैं आप सभी से लद्दाख का एक प्रेरक उदाहरण साझा करना चाहता हूँ। आपने पश्मीना शाल के बारे में तो जरुर सुना होगा। पिछले कुछ समय से लद्दाखी पश्मीना की भी बहुत चर्चा हो रही है। लद्दाखी पश्मीना Looms of Laddakh के नाम से दुनियाभर के बाजारों में पहुँच रहा है। आप ये जानकार हैरान रह जाएंगे कि इसे तैयार करने में 15 गाँवों की 450 से अधिक महिलाएं शामिल हैं। पहले वे अपने उत्पाद वहां आने वाले पर्यटकों को ही बेचती थीं। लेकिन अब Digital भारत के इस दौर में उनकी बनाई चीजें, देश-दुनिया के अलग-अलग बाजारों में पहुँचने लगी हैं। यानि हमारा local अब global हो रहा है और इससे इन महिलाओं की कमाई भी बढ़ी है।

प्रधानमंत्री ने कहा,कल 27 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व है।इसी दिन ‘देव दीपावली’ भी मनाई जाती है।और मेरा तो मन रहता है कि मैं काशी की ‘देव दीपावली’ जरुर देखूं।इस बार मैं काशी तो नहीं जा पा रहा हूँ लेकिन ‘मन की बात’ के माध्यम से बनारस के लोगों को अपनी शुभकामनाएं जरूर भेज रहा हूँ।इस बार भी काशी के घाटों पर लाखों दिये जलाये जाएंगे, भव्य आरती होगी, Laser Show होगा, लाखों की संख्या में देश-विदेश से आए लोग ‘देव दीपावली’ का आनंद लेंगे।

कल,पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक देव जी का भी प्रकाश पर्व है।गुरु नानक जी के अनमोल संदेश भारत ही नहीं, दुनिया भर के लिए आज भी प्रेरक और प्रासंगिक हैं। ये हमें सादगी, सद्भाव और दूसरों के प्रति समर्पित होने के लिए प्रेरित करते हैं।गुरु नानक देव जी ने सेवा भावना, सेवा कार्यों की जो सीख दी, उसका पालन, हमारे सिख भाई-बहन, पूरे विश्व में करते नज़र आते हैं| मैं ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं को गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनायें देता हूँ।

प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ के समापन पर कहा, इस बार मेरे साथ इतना ही। देखते ही देखते 2023 समाप्ति की तरफ बढ़ रहा है। और हर बार की तरह हम-आप ये भी सोच रहे हैं कि अरे…इतनी जल्दी ये साल बीत गया। लेकिन ये भी सच है कि बीते साल भारत के लिए असीम उपलब्धियों वाला साल रहा है, और भारत की उपलब्धियां, हर भारतीय की उपलब्धि है। मुझे ख़ुशी है कि ‘मन की बात’, भारतीयों की ऐसे उपलब्धियों को सामने लाने का एक सशक्त माध्यम ब

ना है।

 

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