दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मन की बात’ की 114वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन कहा , ‘मन की बात’ की हमारी इस यात्रा को 10 साल पूरे हो रहे हैं। 10 साल पहले ‘मन की बात’ का प्रारंभ 3 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन हुआ था और ये कितना पवित्र संयोग है, कि, इस साल 3 अक्टूबर को जब ‘मन की बात’ के 10 वर्ष पूरे होंगे, तब, नवरात्रि का पहला दिन होगा। ‘मन की बात’ की इस लंबी यात्रा के कई ऐसे पड़ाव हैं, जिन्हें मैं कभी भूल नहीं सकता। ‘मन की बात’ के करोड़ों श्रोता हमारी इस यात्रा के ऐसे साथी हैं, जिनका मुझे निरंतर सहयोग मिलता रहा। देश के कोने- कोने से उन्होनें जानकारियां उपलब्ध कराई। ‘मन की बात’ के श्रोता ही इस कार्यक्रम के असली सूत्रधार हैं। आमतौर पर एक धारणा ऐसी घर कर गई है, कि जब तक चटपटी बातें न हो, नकारात्मक बातें न हो तब तक उसको ज्यादा तवज्जोह नहीं मिलती है। लेकिन ‘मन की बात’ ने साबित किया है कि देश के लोगों में पोजिटिव जानकारी की कितनी भूख है। पोजिटिव बातें, प्रेरणा से भर देने वाले उदाहरण, हौसला देने वाली गाथाएँ, लोगों को, बहुत पसंद आती हैं। जैसे एक पक्षी होता है ‘चकोर’ जिसके बारे में कहा जाता है कि वो सिर्फ वर्षा की बूंद ही पीता है। ‘मन की बात’ में हमने देखा कि लोग भी चकोर पक्षी की तरह, देश की उपलब्धियों को, लोगों की सामूहिक उपलब्धियों को, कितने गर्व से सुनते हैं। हमारे समाज में सामूहिकता की भावना के साथ जो भी काम हो रहा हो, उन्हें ‘मन की बात’ के द्वारा सम्मान मिलता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, आज दूरदर्शन, प्रसार भारती और ऑल इंडिया रेडियो से जुड़े सभी लोगों की भी सराहना करूंगा। उनके अथक प्रयासों से ‘मन की बात’ इस महत्वपूर्ण पड़ाव तक पहुंचा है। मैं विभिन्न टीवी चैनल को, रीजनल टीवी चैनल का भी आभारी हूँ जिन्होनें लगातार इसे दिखाया है। ‘मन की बात’ के द्वारा हमने जिन मुद्दों को उठाया, उन्हें लेकर कई मीडिया हाउस ने मुहिम भी चलाई। मैं प्रिंट मीडिया को भी धन्यवाद देता हूँ कि उन्होनें इसे घर-घर तक पहुंचाया। मैं उन यू-ट्यूबर को भी धन्यवाद दूंगा जिन्होनें ‘मन की बात’ पर अनेक कार्यक्रम किए।
प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी के गांव का जिक्र करते हुए कहा ‘ उत्तरकाशी में एक सीमावर्ती गाँव है ‘झाला’। यहां के युवाओं ने अपने गाँव को स्वच्छ रखने के लिए एक खास पहल शुरू की है। वे अपने गाँव में ‘धन्यवाद प्रकृति’ या कहें ‘ थैंक्यू नेचर ’ अभियान चला रहे हैं। इसके तहत गाँव में रोजाना दो घंटे सफाई की जाती है। गाँव की गलियों में बिखरे हुए कूड़े को समेटकर, उसे, गाँव के बाहर, तय जगह पर, डाला जाता है। इससे झाला गाँव भी स्वच्छ हो रहा है और लोग जागरूक भी हो रहे हैं। आप सोचिए, अगर ऐसे ही हर गाँव, हर गली-हर मोहल्ला, अपने यहां ऐसा ही थैंक्यू अभियान शुरू कर दे, तो कितना बड़ा परिवर्तन आ सकता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि, स्वच्छता को लेकर पुडुचेरी के समुद्र तट पर भी जबरदस्त मुहिम चलाई जा रही है। यहां रम्या जी नाम की महिला, माहे म्युनिस्पिलिटी और इसके आसपास के क्षेत्र के युवाओं की एक टीम का नेतृत्व कर रही है। इस टीम के लोग अपने प्रयासों से माहे क्षेत्र को और खासकर वहाँ के बीचेज को पूरी तरह साफ-सुथरा बना रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा हरियाणा सरकार बदलते हुए इस समय में नेचर आफ जाॅब बदल रही हैं और नए-नए सैक्टर्स का उभार हो रहा है। जैसे गेमिंग एनिमेशन,रील मेकिंग , फिल्म मेकिंग या पोस्टर मेकिंग। अगर इनमें से किसी स्किल में आप अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं तो आपके टेलेट को बहुत बड़ा मंच मिल सकता है, अगर आप किसी बैण्ड से जुड़े हैं या फिर कम्युनिटी रेडियो के लिए काम करते हैं, तो भी आपके लिए बहुत बड़ा अवसर है। आपके टेलेंट और क्रैटिविटी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार का सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने ‘क्रिएट इन इंडिया ’ इस थीम के तहत 25 चैलैंजेज को शुरू किए हैं। ये चैलैजेज आपको दिलचस्प लगेंगे। कुछ चैलैंजेज तो म्यूजिक, एजूकेशन और यहाँ तक कि एंटी पायरेसी पर भी फोकस हैं। इस आयोजन में कई सारे प्रोफेशनल ऑर्गेनाइजेशन भी शामिल हैं, जो, इन चैलेंजेज को, अपना पूरा सपोर्ट दे रहे हैं। इनमें शामिल होने के लिए आप वेव्स इंडिया.ऑर्गे पर लॉगइन कर सकते हैं। देश-भर के क्रिएटर्स से मेरा विशेष आग्रह है कि वे इसमें जरूर हिस्सा लें और अपनी क्रिएटिविटी को सामने लाएं।
प्रधानमंत्री ने देशवासियो को संबोधित किया और कहा, इस महीने एक और महत्वपूर्ण अभियान को 10 साल पूरे हुए हैं। इस अभियान की सफलता में, देश के बड़े उद्योगों से लेकर छोटे दुकानदारों तक का योगदान शामिल है। मैं बात कर रहा हूँ ‘मेक इन इंडिया ’ की। आज, मुझे ये देखकर बहुत खुशी मिलती है, कि गरीब, मध्यम वर्ग और एमएसएमईएस को इस अभियान से बहुत फायदा मिल रहा है। इस अभियान ने हर वर्ग के लोगों को अपना टेलेंट सामने लाने का अवसर दिया है। आज, भारत मेन्यूफैक्चरिंग का पावरहाउस बना है और देश की युवा-शक्ति की वजह से दुनिया-भर की नजरें हम पर हैं। ऑटोमोबाइल हो, टेक्सटाइल हो, एविएशन हो, इलेक्ट्रॉनिक्स हो, या फिर डिफेंस, हर सेक्टर में देश का एक्सपोर्ट लगातार बढ़ रहा है। देश में एफडीआई का लगातार बढ़ना भी हमारे ‘ मेक इन इंडिया’ की सफलता की गाथा कह रहा है। अब हम मुख्य रूप से दो चीजों पर फोकस कर रहे हैं। पहली है ‘क्वालिटी’ यानि, हमारे देश में बनी चीजें ग्लोबल स्टेंडर्ड की हों। दूसरी है ‘ वोकल फाॅर लोकल’ यानि, स्थानीय चीजों को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा मिले। ‘मन की बात’ में हमने माई प्रोडक्ट माई प्राईड’ की भी चर्चा की है। लोकल प्रोडक्ट को बढ़ावा देने से देश के लोगों को किस तरह से फायदा होता है, इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है।
In ‘Mann Ki Baat’, the Prime Minister asked to run a ‘Dhanyavad Prakriti’ or say ‘Thank you Nature’ campaign.