November 1, 2025

एनडीए ‘संकल्प पत्र 2025’ : महागठबंधन के नेताओं ने की कड़ी प्रतिक्रिया:यह बस एक और जुमला भर है,

Bihar, 01 November 2025,

Bihar, बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए ने ‘संकल्प पत्र 2025’ शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जारी किया। घोषणा पत्र का मुख्य फोकस युवाओं, महिलाओं, पिछड़ों, दलितों और किसानों पर रखा गया है। संकल्प पत्र में एनडीए ने बिहार के हर युवा को नौकरी और रोजगार देने का वादा किया है। साथ ही में दोनों उद्यमियों को 2-2 लाख की सहायता राशि देने का वादा किया। इसके अलावा बिहार में फिल्म सिटी बनाने 4 और शहरों में मेट्रो, गरीबों के लिएं पंचामृत योजना समेत कई ऐलान हैं।

एनडीए के ‘संकल्प पत्र 2025’ को लेकर महागठबंधन के नेताओं ने एनडीए की कड़ी आलोचना की है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने एनडीए के संकल्प पत्र पर निशाना साधते हुए कहा, ‘यह बस एक और जुमला भर है। बिहार के लोगों ने इनका चाल और चरित्र अच्छी तरह से पहचान लिया है। इस बार एनडीए को जनता बहुत तगड़ा जवाब देने वाली है। महागठबंधन की सरकार बनेगी। बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है, बेरोजगारी से मुक्ति चाहती है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “दरअसल, इसे ‘फर्जी पत्र’ कहा जाना चाहिए, क्योंकि सत्ताधारी गठबंधन पिछले २० सालों में बिहार के लोगों के लिए कुछ भी करने में विफल रहा है। उन्हें लोगों से माफी मांगनी चाहिए थी। उनके पास वादे करने के लिए कुछ नहीं था।

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने एनडीए के नेताओं द्वारा ‘संकल्प पत्र 2025’ को जारी करने के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बोलने का मौका न दिए जाने पर कड़ी आलोचना की है।उन्होंने कहा कि यह अब तक का सबसे छोटा और सबसे कमजोर मेनिफेस्टो लॉन्च था। सीएम नीतीश कुमार और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को डर था कि मीडिया उनसे सवाल पूछ लेगी, इसलिए वे सिर्फ 26 सेकंड में मेनिफेस्टो जारी कर चले गए।

गहलोत ने कहा कि एनडीए का मेनिफेस्टो जारी हुआ, नेता मंच पर आए और कुछ सेकंड में चले गए। मीडिया के कई साथियों ने मुझसे कहा कि अपने जीवन में बीते वादों का हिसाब मांग लेते, इसलिए दोनों ने मंच से भागना ही सही समझा। गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र में चुनावी घोषणापत्र जनता के प्रति जवाबदेही का दस्तावेज होता है, लेकिन एनडीए का यह मेनिफेस्टो सिर्फ झूठ का पुलिंदा है। 20 साल के काम का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखना चाहिए था, पर उन्होंने फिर से केवल खोखले वादे किए। बिहार के साथ बार-बार वादाखिलाफी की गई है।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने एनडीएम के घोषणा पत्र जारी करने के तौर तरीके पर सवाल उठाया। लालू यादव ने एक्स हैंडल पर देर रात ट्वीट कर कहा, ‘जिन लोगों को अपना घोषणा पत्र पढ़ने तक के लिए समय नहीं है वो लोग उस घोषणा पत्र को लागू कर ही नहीं सकते? उनका इतिहास और वर्तमान ये सिद्ध भी कर चुका है इसलिए जनता अब संकल्प ले चुकी है कि महागठबंधन के प्रण को चुनेंगे , जनता की तेजस्वी सरकार लायेंगे’।

उधर जनता दल यूनाइटेड के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के लोगों से एनडीए को एक बार फिर सत्ता में लाने का आग्रह किया है। शनिवार को ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर जारी एक वीडियो संदेश में उन्होंने दावा किया कि उनके नेतृत्व में बिहार के विकास की गति बढ़ी है, और एक और मौका मिलने पर राज्य को देश के शीर्ष राज्यों की सूची में शामिल किया जा सकता है।

वीडियो में, नीतीश कुमार ने आरजेडी को निशाना बनाते हुए कहा कि जब वह 2005 में सत्ता में आए थे, तब बिहार ‘घोर उपेक्षा और अविकसितता’ का शिकार था।उनके शब्दों में, “उस समय ‘बिहारी’ पहचान भी उपहास का विषय थी। मैंने दिन-रात ईमानदारी से काम किया ताकि वह स्थिति बदल सके। नीतीश कुमार ने दावा किया कि उनकी सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क बुनियादी ढांचा, रोजगार के अवसर और नौकरी के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने दलितों, पिछड़े वर्गों से लेकर सामान्य लोगों तक समाज के हर वर्ग के लिए काम किया है।

 

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