दिल्ली , केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में बताया कि , नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति के निर्माण की परिकल्पना सहकारिता मंत्रालय के अधिदेश “सहकार से समृद्धि” को पूरा करने के उद्देश्य से की गई है। सहकारी क्षेत्र के विशेषज्ञों, राष्ट्रीय, राज्य, जिला, प्राथमिक स्तर की सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के सचिव (सहकारिता) और रजिस्ट्रार सहकारी समितियों और केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों के अधिकारियों के साथ सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्यक्षता में 2 सितम्बर 2022 को एक राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन किया गया था। इस राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन इसलिए किया गया था ताकि सहकारी क्षेत्र की क्षमता को बढ़ाने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने हेतु नई सहकारिता नीति तैयार की जा सके। समिति ने हितधारकों से सुझाव प्राप्त करने के लिए पूरे देश में 17 बैठकें और चार क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित कीं। प्राप्त सुझावों को उचित रूप से मसौदा नीति में शामिल किया गया है। उल्लेखनीय है कि मसौदा नीति तैयार कर ली गई है और इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लोकसभा में दिए गए जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य सभा में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि, हम चाहते थे कि गृह मंत्री जी यहां उपस्थित रहें, क्योंकि उन्हीं के विवेक और सुझाव पर शायद सहकारिता मंत्रालय कृषि विभाग से लेकर गृह विभाग को सौंपा गया है।
त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक-2025 पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि,यह सरकार एक सहकारी विश्वविद्यालय का बिल लेकर आई है, जिसका नामकरण एक ऐसे वरिष्ठ सहकारिता कार्यकर्ता त्रिभुवन दास जी पटेल के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने सरदार पटेल जी की प्रेरणा और वी. कुरियन जी के सहयोग से इस देश में श्वेत क्रांति की अगुवाई की थी। लोकतंत्र में सरकार की नीयत उनके बनाए नीति, नियम और कानूनों में झलकती है और इस सरकार के 11 साल के कार्यकाल में तीन बातें साफ झलकती हैं-
* पूंजीवादी व्यवस्था का पक्षधर होना
* सत्ता का केंद्रीकरण और राज्यों के अधिकारों को हथियाना
* हर बात में सांप्रदायिक कटुता फैलाना
दिग्विजय सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि, केंद्र सरकार ने पहले सहकारिता मंत्रालय बनाया। पूर्व में यह मंत्रालय कृषि विभाग के साथ था, लेकिन पता नहीं बाद में प्रधानमंत्री ने किस उद्देश्य और मंशा के साथ सहकारिता को कृषि से अलग कर इसे गृह मंत्रालय से जोड़ दिया। दिग्विजय सिंह ने केन्द्र सरकार की सहकारिता नीति की आलोचना करते हुए कहा, इस बिल के माध्यम से को- आपरेटिव का कारपोरेटाइजेशन हो रहा है। यानी सहकारिता को किसान और मजदूरों के हाथ से निकालकर, उद्योगपतियों के हाथ में सौंपने का षड्यंत्र किया जा रहा है।
: