Uttarkashi, 09 August 2025,
उत्तरकाशी जनपद की हर्षिल घाटी में हाल ही में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के प्रभावितों के लिए शनिवार को युद्धस्तर पर राहत व बचाव कार्य संचालित किए गए। केवल शनिवार को ही 480 लोगों को हर्षिल और नेलांग से लाकर जौलीग्रांट, मातली और चिन्यालीसौंड से उनके गंतव्य तक रवाना किया गया। इस दौरान रेस्क्यू टीमों और हवाई सहायता ने लगातार मेहनत कर फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया।
06 अगस्त से 09 अगस्त के बीच मात्र चार दिनों में कुल 1126 लोगों का सुरक्षित रेस्क्यू किया गया। शनिवार को यूकाडा और सेना के हेलीकॉप्टरों ने 128 सॉर्टी कीं, जबकि इन चार दिनों में विभिन्न हेलीकॉप्टरों द्वारा कुल 257 सॉर्टी संचालित की गईं। यह अभियान राहत कार्यों की गति और प्रशासन की तत्परता का उदाहरण है।
इस संबंध में उत्तराखंड के सचिव गृह शैलेश बगौली ने आज शाम करीब 7 बजे राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्या से दिनभर के रेस्क्यू अभियान की विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने हर्षिल व धराली में डीज़ल की कमी न होने देने के लिए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अपर आयुक्त पीएस पांगती को हर दिन 2 हजार लीटर डीज़ल भेजने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन 20 से 25 रसोई गैस सिलेंडर भी भेजें जाए।
गृह मंत्रालय सचिव शैलेश बगौली ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हर्षिल घाटी में खाद्य सामग्री की कोई किल्लत न हो। इसका विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक सड़कों की बहाली नहीं हो जाती, तब तक घोड़े और खच्चरों के माध्यम से आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। साथ ही, बीआरओ के अनुरोध पर धराली में जल पुलिस को सर्च व रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए जल्द नाव भेजने के भी आदेश दिए।
उत्तरकाशी जनपद की हर्षिल घाटी में हाल ही में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के कारण विद्युत तंत्र पूरी तरह ठप हो गया था। लगातार भारी वर्षा, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं से पोल, तार, ट्रांसफार्मर और उपसंस्थानों को गंभीर क्षति पहुँची तथा सड़क मार्ग बाधित होने से राहत सामग्री और उपकरण पहुँचाना एक बड़ी चुनौती बन गया।
इस विकट परिस्थिति में उत्तराखण्ड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने त्वरित और सुनियोजित कार्रवाई करते हुए अल्प समय में विद्युत आपूर्ति बहाल कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। यह कार्य दो चरणों में संपन्न हुआ। पहले चरण में 125 केवीए क्षमता के डीजल जनरेटर सेट को देहरादून एयरपोर्ट से चिन्यालीसौड़ होते हुए हर्षिल तक एयरलिफ्ट किया गया।
इसके साथ ही कंडक्टर, पोल, सर्विस लाइन, इंसुलेटर और अन्य आवश्यक उपकरण भी हवाई मार्ग से भेजे गए। इस प्रक्रिया में हेलीकॉप्टर से भारी सामग्री की ढुलाई की गई, जिसके लिए सेना और प्रशासन के साथ समन्वय रखा गया। यूपीसीएल की 10 सदस्य दलों की टीम को भी हेलीकॉप्टर के माध्यम से विद्युत सामग्री के साथ हर्षिल घाटी तक पहुँचाया गया। दूसरे चरण में यूपीसीएल के इंजीनियरों और लाइनमैनों ने हाई अलर्ट मोड में मौके पर दिन-रात काम करते हुए क्षतिग्रस्त पोल और तारों को बदला, नई सर्विस लाइनों को जोड़ा और डीजी सेट के माध्यम से अस्थायी आपूर्ति शुरू की।
इसके अतिरिक्त, सौर ऊर्जा तथा माइक्रो हाइड्रो ग्रिड को भी जोड़ा गया, जिससे घाटी में स्थिर और सतत बिजली उपलब्ध कराई जा सकी। माइक्रो हाइड्रो ग्रिड से 25 किलो वॉट का ऊर्जा उत्पादन हो रहा है जिससे माँ गंगा जी के शीतकालीन स्थल मुखवा गाँव में विद्युत आपूर्ति दी जा रही है। इस पूरी प्रक्रिया में जटिल मौसम, लगातार वर्षा, ठंड और ऊंचाई पर काम करने जैसी चुनौतियों को पार किया गया।
यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने कहा कि “हर्षिल घाटी में बिजली बहाल करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन हमारी टीम ने त्वरित कार्य कर इसे संभव कर दिखाया। एयरलिफ्ट ऑपरेशन, हाई-ऑल्टिट्यूड फील्डवर्क और माइक्रो हाइड्रो ग्रिड के संयोजन से यह उपलब्धि हासिल हुई है।