दिल्ली , लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सदन की कार्यवाही को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पर आरोप लगाते हुए कहा कि, उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा और सदन को अलोकतांत्रिक तरीके से चलाया जा रहा है। राहुल गांधी के सदन में संबोधन के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने हिदायत दी कि, सदन के सदस्य का व्यवहार सदन की गरिमा के अनुरूप होना चाहिए। इसके बाद राहुल गांधी ने कहा कि उनके साथ अन्याय हो रहा है और वो अपनी बात रखने का हक रखते हैं।
अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में कहा, किसी सदस्य का व्यवहार सदन की गरिमा के अनुसार होना चाहिए इसके साथ ही ये भी कहा था कि सदन में पिता-बेटी, मां-बेटी, पति-पत्नी सभी बैठते हैं। नेता प्रतिपक्ष से अपेक्षित है कि वो सदन के नियमों के अनुसार आचरण करें। इसके बाद, राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है और उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि सदन की कार्यवाही का संचालन अलोकतांत्रिक तरीके से किया जा रहा है। नेता प्रति पक्ष ने ये भी कहा कि जब भी मैं सदन में बोलने के लिए खड़ा होता हूं, मुझे बोलने नहीं दिया जाता, जबकि ये परंपरा रही है कि नेता प्रतिपक्ष को बोलने का मौका दिया जाता है। उन्होंने आश्चर्य जताया कहा कि पता नहीं ये किस प्रकार से सदन चल रहा है। लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों की जगह होती है। यहां लोकतंत्र की जगह नहीं है। उन्होंने कहा पिछले कई दिनों में मैंने कुछ नहीं बोला, फिर भी मुझे बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है।
सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद, कांग्रेस के सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को बोलने का मौका ना दिए जाने को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया। वहीं कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने मीडिया में कहा संसदीय परंपरा हमें सिखाती है कि सदन जितना सत्ता पक्ष का है, उतना ही विपक्ष का भी है।
जब भी विपक्ष, खासकर नेता प्रतिपक्ष सदन में बोलना चाहते हैं तो, उन्हें उनके अधिकार से वंचित कर दिया जाता है।हमारी संसदीय परंपरा में नेता विपक्ष का पद बहुत महत्वपूर्ण होता है। सत्ता पक्ष के मंत्री, सांसद जैसे ही खड़े होते हैं, उनका माइक चालू हो जाता है। जब हम कल दिल्ली हाईकोर्ट के जज के मामले में स्थगन प्रस्ताव एडजर्नमेंट मोशन लेकर आए तो उसे नकार दिया गया और संसदीय कार्य मंत्री को झूठे आरोप लगाने का मौका दिया गया। जब नेता विपक्ष उठते हैं, तो उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया जाता।