दिल्ली , इस बार संसद का शीतकालीन सत्र शुरू से ही हंगामे दार रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष में दोनों ओर से एक दूसरे पर बड़े-बड़े और गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। इंडिया गठबंधन के घटक दल सरकार को अडानी समूह और उत्तर प्रदेश के संभल हिंसा को मुद्दा बनाकर हमलावर है। वहीं केन्द्र सरकार कांग्रेस पर अमेरिकी कारोबारी जार्ज सोरोस के साथ संबंध होने का आरोप लगाकर विपक्ष को घेर रही है।
विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ सदन संचालन में अनियमितता पक्षपात का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ और करीब 60 सांसदों के हस्ताक्षर से युक्त अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश कर दिया गया है।
राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाना हमारे देश के संसदीय इतिहास की बड़ी घटना मानी जा रही है। पिछले 72 साल के भारतीय राजनीतिक इतिहास में अभी तक कभी भी राज्यसभा के सभापति के खिलाफ यह अविश्वास प्रस्ताव नहीं आया था। यह पहली ऐसी घटना है जब मुख्य विपक्षी दल के नेतृत्व में इस अविश्वास प्रस्ताव को लाया गया है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में विपक्ष अल्पमत में है। ऐसे में इस अविश्वास प्रस्ताव का सदन में पारित होना असम्भव ही है।
नियमों के अनुसार यह नोटिस अगर सदन के स्थगित होने के कम से कम चौदह दिन पहले आता तो इस पर चर्चा व कार्यवाही हो सकती थी। चर्चा व कार्यवाही के लिए नोटिंस कम से कम 14 दिन पहले दिया जाना जरूरी होता है। यह सत्र 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। ऐसे में सत्र में केवल 9 दिन रह गए हैं। इसलिए इस अविश्वास प्रस्ताव पर कार्यवाही नहीं होगी।
विपक्षी गठबंधन इंडिया की ओर से राज्यसभा के सभापति को पद से हटाने के प्रस्ताव संबंधी नोटिस दिए जाने को सत्ता पक्ष ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बचाव किया। साथ ही दावा किया कि अमेरिका के अरबपति कारोबारी जॉर्ज सोरोस और कांग्रेस के कथित संबंधों के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए विपक्षी दलों ने आसन पर आक्षेप लगाया है।Opposition presented notice of no-confidence motion against Vice President Jagdeep Dhankhar.