दिल्ली , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 119वां एपिसोड को सम्बोधित करते हुए कहा कि, भारत ने स्पेस में जो शानदार सेंचुरी बनाई है। पिछले महीने देश भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो 100वें राकेट की लांचिंग के साक्षी बने हैं। यह केवल एक नेबर नहीं है। बल्कि इससे स्पेस में नित नई ऊंचाइयों को हमारे संकल्प का भी पता चलता है। हमारी स्पेस जर्नी की शुरुआत बहुत ही सामान्य तरीके से हुई थी। इसमें कदम-कदम पर चुनौतियाँ थीं, लेकिन हमारे वैज्ञानिक, विजय प्राप्त करते हुए, आगे बढ़ते ही गए। समय के साथ अंतरिक्ष की इस उड़ान में हमारी सफलताओं की सूची काफी लंबी होती चली गई। लॉन्च व्हीकल का निर्माण हो, चंद्रयान की सफलता हो, मंगलयान हो, आदित्य L-1 या फिर एक ही रॉकेट से, एक ही बार में, 104 सैटेलाइट्स को स्पेस में भेजने का अभूतपूर्व मिशन हो – इसरो की सफलताओं का दायरा काफी बड़ा रहा है। बीते 10 वर्षों में ही करीब 460 सैटेलाइट लॉन्च की गई हैं और इसमें दूसरे देशों की भी बहुत सारी सेटेलाइट्स शामिल हैं। हाल के वर्षों की एक बड़ी बात ये भी रही है कि स्पेस साइंटिस्ट की हमारी टीम में नारी-शक्ति की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। मुझे यह देखकर भी बहुत खुशी होती है कि आज स्पेस सेक्टर हमारे युवाओं के लिए बहुत फेवरेट बन गया है। कुछ साल पहले तक किसने सोचा होगा कि इस क्षेत्र में स्टार्ट अप और प्राइवेट सेक्टर की स्पेस कंपनियों की संख्या सैकड़ों में हो जाएगी। हमारे जो युवा, जीवन में कुछ थ्रिलिंग और एक्साइटिंग करना चाहते हैं, उनके लिए स्पेस सेक्टर, एक बेहतरीन ऑप्शन बन रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कुछ ही दिनों में हम ‘नेशनल साइंस डे’ मनाने जा रहे हैं। हमारे बच्चों का, युवाओं का साइंस में इंटरेस्ट और पेशॅन होना बहुत मायने रखता है। इसे लेकर मेरे पास एक आइडिया है, जिसे आप ‘वन डे एज ए साइंटिस्ट’ कह सकते हैं, यानि, आप अपना एक दिन एक साइंटिस्ट के रूप में, एक वैज्ञानिक के रूप में, बिताकर देखें। आप अपनी सुविधा के अनुसार, अपनी मर्जी के अनुसार, कोई भी दिन चुन सकते हैं। उस दिन आप किसी रिसर्च लैब प्लैनेटेरियम, या फिर स्पेस सेंटर जैसी जगहों पर जरूर जाएँ। इससे साइंस साइंस को लेकर आपकी जिज्ञासा और बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जिक्र करते हुए कहा इस पेज और साइंस की तरह एक और क्षेत्र है, जिसमें भारत तेजी से अपनी मजबूत पहचान बना रहा है – ये क्षेत्र है एआई यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। हाल ही में, मैं एआई के एक बड़े सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पेरिस गया था। वहाँ दुनिया ने इस सैक्टर में भारत की प्रगति की खूब सराहना की।
मन की बात में प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का जिक्र करते हुए बताया कि,अगले महीने 8 मार्च को ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ है। यह हमारी नारी-शक्ति को नमन करने का एक विशेष अवसर होता है। देवी माहात्म्य में कहा गया है –विद्या: समस्ता: तव देवि भेदा: , स्त्रीय: समस्ता: सकला जगत्सु। अर्थात सभी विद्याएं, देवी के ही विभिन्न स्वरूपों की अभिव्यक्ति हैं और जगत की समस्त नारी-शक्ति में भी उनका ही प्रतिरूप है। हमारी संस्कृति में बेटियों का सम्मान सर्वोपरि रहा है। देश की मातृ-शक्ति ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम और संविधान के निर्माण में भी बड़ी भूमिका निभाई है। इस दौरान प्रधानमंत्री हंसा मेहता का उद्धरण दिया। हंसा मेहता जी ने हमारे राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण से लेकर उसके लिए बलिदान देने वाली देश-भर की महिलाओं के योगदान को सामने रखा था। उनका मानना था कि हमारे तिरंगे में केसरिया रंग से भी ये भावना उजागर होती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया था कि हमारी नारी-शक्ति भारत को सशक्त और समृद्ध बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान देगी – आज उनकी बातें सच साबित हो रही हैं। आप किसी भी क्षेत्र पर नजर डालें तो पाएंगे कि महिलाओं का योगदान कितना व्यापक है।
प्रधानमंत्री ने कहा, इस बार महिला दिवस पर मैं एक ऐसी पहल करने जा रहा हूँ, जो हमारी नारी-शक्ति को समर्पित होगी। इस विशेष अवसर पर मैं अपने सोशल मीडिया अकाउंट जैसे एक्स इंस्टाग्राम के अकाउंट्स, देश की कुछ इंस्पायरिंग वूमेन को, एक दिन के लिए सौंपने जा रहा हूँ। ऐसी वूमेन जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों उपलब्धियां हासिल की हैं, इनोवेशन किया है, अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। 8 मार्च को, वो, अपने कार्य और अनुभवों को देशवासियों के साथ साझा करेंगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा , मेंने उत्तराखंड के देहरादून में आयोजित नेशनल गेम्स के उद्घाटन के दौरान एक बहुत ही अहम विषय उठाया है, जिसने देश में एक नई चर्चा की शुरुआत की है – ये विषय है ‘ओबेसिटी’ यानि मोटापा’। एक फिट और हेल्दी नेशन बनने के लिए हमें ओबेसिटी की समस्या से निपटना ही होगा
प्रधानमंत्री ने सवाल पूछते हुए कहा कि, आप जानते हैं कि एशियाटिक लायन, हंगुल, पिग्मी हॉग्स, और लायन-टेल्ड मैकाक्यू इसमें क्या समानता है? इसका जवाब है कि ये सब दुनिया में कहीं और नहीं पाए जाते हैं, केवल हमारे देश में ही पाए जाते हैं। वाकई हमारे यहाँ वनस्पति और जीव-जंतुओ का एक बहुत ही वाइब्रेंट इकोसिस्टम है, और ये वन्य जीव, हमारे इतिहास और संस्कृति में रचे-बसे हुए हैं। कई जीव-जन्तु हमारे देवी-देवताओं की सवारी के तौर पर भी देखे जाते हैं। अगले महीने की शुरुआत में हम ‘वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे’ मनाएंगे। मेरा आग्रह है कि आप वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन से जुड़े लोगों का हौसला जरूर बढ़ाएं। यह मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि इस क्षेत्र में अब कई स्टार्ट-अप भी उभरकर सामने आए हैं।