दिल्ली: संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि, देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा, उसका एक बार पुन: स्मरण करने के लिए और नए सदन में जाने से पहले उन प्रेरक पलों को इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को स्मरण करते हुए आगे बढ़ने का ये अवसर, हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। आजादी के पहले ये सदन इम्पीरियल लेजिस्लेटिव कोंसिल का स्थान हुआ करता था। आजादी के बाद ये संसद भवन के रूप में इसको पहचान मिली। ये सही है इस इमारत के निर्माण करने का निर्णय विदेशी सांसदों का था, लेकिन ये बात हम न कभी भूल सकते हैं और हम गर्व से कह सकते हैं, इस भवन के निर्माण में पसीना मेरे देशवासियों का लगा था, परिश्रम मेरे देशवासियों का लगा था, और पैसे भी मेरे देश के लोगों के लगे थे।
इस 75 वर्ष की हमारी यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परम्पराओं और प्रक्रियाओं का उत्तम से उत्तम सृजन किया है। और इस सदन में रहते हुए सबने उसमें सक्रियता से योगदान भी दिया है और साक्षी भाव से उसको देखा भी है। हम भले ही नए भवन में जाएंगे, लेकिन पुराना भवन भी; ये भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा-हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। ये भारत के लोकतंत्र की स्वर्णिम यात्रा का एक महत्वपूर्ण अध्याय है जो सारी दुनिया को भारत की रगों में लोकतंत्र का सामर्थ्य कैसे है, इसका परिचित कराने का काम इस इमारत से होता रहेगा।
भारत के लोकतंत्र में तमाम उतार-चढ़ाव हमने देखे हैं और ये सदन लोकतंत्र की ताकत है, लोकतंत्र की ताकत की साक्षी है, जनविश्वास का एक केंद्र बिंदु रहा है। इस सदन की विशेषता देखिए और दुनिया के लोगों को आज भी अचरज होता है ये सदन है जिसमें कभी 4 सांसद वाली पार्टी सत्ता में होती थी और 100 सदस्य वाली पार्टी विपक्ष में बैठती थी। ये भी सामर्थ्य है। इस सदन के लोकतंत्र की ताकत का परिचय कराता है। और यही सदन है जिसमें एक वोट से अटल जी की सरकार गई थी और लोकतंत्र की गरिमा को बढ़ाया था, ये भी इसी सदन में हुआ था। आज अनेक छोटी-छोटी रीजनल पार्टियों का प्रतिनिधित्व हमारे देश की विविधता को, हमारे देश की एस्पिरेशन का, एक प्रकार से वो आकर्षक केंद्र बिंदु बना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि,मून-मिशन की सफलता से चंद्रयान-3 हमारा तिरंगा फहरा रहा है। शिवशक्ति पॉइंट नई प्रेरणा का केंद्र बना है, तिरंगा पॉइंट हमें गर्व से भर रहा है। पूरे विश्व में जब इस प्रकार की उपलब्धि होती है तो उसको आधुनिकता से, विज्ञान से, टेक्नोलॉजी से जोड़कर के देखा जाता है। और जब ये सामर्थ्य विश्व के सामने आता है तो भारत के लिए अनेक संभावना, अनेक अवसर हमारे दरवाजे पर आकर के खड़े हो जाते हैं।
हाल ही में संपन्न हुए, जी-20 की अभूतपूर्व सफलता 60 से अधिक स्थानों पर विश्व भर के नेताओं का स्वागत, मंथन और ट्रूय स्पिरिट में फेडरल स्ट्रक्चर का एक जीवंत अनुभव भारत की विविधता, भारत की विशेषता, जी-20 अपनेआप में हमारी विविधता का सेलिब्रेशन बन गया। और जी-20 में भारत इस बात के लिए हमेशा गर्व करेगा कि ग्लोबल साउथ की हम आवाज बने। अफ्रीकन यूनियन को स्थाई सदस्यता और जी-20 में सर्वसम्मति से डिक्लेरेशन। ये सारी बातें भारत के उज्जवल भविष्य के संकेत दे रही हैं।
अपने वक्तव्य में, प्रधानमंत्री ने “यशोभूमि इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर” और ‘पीएम विश्वकर्मा योजना” का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि, कल विश्वकर्मा जयंती थी, देश के विश्वकर्मा समुदाय जिनको परंपरागत पारिवारिक हुनर है। उनको ट्रेनिंग, आधुनिक टूल आर्थिक प्रबंधन और नए सिरे से ये विश्वकर्मा समुदाय भारत की विकास यात्रा को आगे बढ़ाने में कैसे अपनी भूमिका अदा करे। ऐसे अनेक एक के बाद एक भारत के गौरव को बढ़ाने वाले एक प्रकार से उत्सव का माहौल, उत्साह का माहौल, उमंग का माहौल और सारे देश में एक नया आत्मविश्वास हम सब अनुभव कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि, विशेष सत्र की अवधि कम दिनों की है, ये सही है, ये सत्र छोटा है, लेकिन समय के हिसाब से ये बहुत बड़ा है। ऐतिहासिक निर्णयों का ये सत्र है। ये सत्र की एक विशेषता ये तो है की अब 75 साल की यात्रा, अब नए मुकाम से आरंभ हो रही है। जिस मुकाम पर 75 साल की यात्रा थी वो अत्यंत प्रेरक पल और अब नए स्थान पर उस यात्रा को आगे बढ़ाते समय, नए संकल्प, नई ऊर्जा, नया विश्वास और समय सीमा में 2047 में इस देश को डेवलप्ड कंट्री बनाकर के रहना है।
प्रधानमंत्री ने विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नवनिर्मित संसद भवन में आगामी लोकसभा सत्र आयोजित किए जाने के संबंध में कहा कि, अब आने वाले जितने भी निर्णय होने वाले हैं वो इस नए संसद भवन में होने वाले हैं। और इसलिए अनेक प्रकार से महत्वपूर्ण ये सत्र है, मैं सभी आदरणीय सांसदों से आग्रह करता हूं कि छोटा सत्र है। ज्यादा से ज्यादा समय उनका मिले, उमंग और उत्साह के वातावरण में मिले, रोने-धोने के लिए बहुत समय होता है करते रहिए। जीवन में कुछ पल ऐसे भी होते हैं जो उमंग से भर देते हैं, विश्वास से भर देते हैं, मैं ये छोटे सत्र को उस रूप में देखता हूं। मैं आशा करता हूं कि पुरानी बुराइयों को छोड़कर के, उत्तम से उत्तम अच्छाइयों को साथ लेकर के हम नए सदन में प्रवेश करेंगे और नए सदन में अच्छाइयों की मूल्य वृद्धि करने में कोई कमी नहीं रखेंगे, ये प्रण सभी सांसद हम लेकर के चलें इसका ये महत्पूर्ण पल है।