Delhi , 10 Jun 2025,
सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति के मालिकाना हक पर अहम निर्णय देते हुए स्पष्ट किया , केवल रजिस्ट्री के आधार पर संपत्ति होने का दावा नहीं किया जा सकेगा। बल्कि इसके लिए अन्य कानूनी दस्तावेजों और प्रमाणों की भी आवश्यकता होगी।सुप्रीम कोर्ट कहा कि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि आपका उस संपत्ति पर मालिकाना हक है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रजिस्ट्रेशन किसी व्यक्ति के दावे का समर्थन कर सकता है, लेकिन यह संपत्ति पर कानूनी कब्जे या नियंत्रण के बराबर नहीं है। कोर्ट के इस फैसले से संपत्ति के मालिकाना हक की अवधारणा भी बदल दिया है।
फ्लैट या जमीन की रजिस्ट्री के बाद, आम धारणा है कि हम उस प्रॉपर्टी के मालिक है। इस धारणा को सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले ने बदल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल रजिस्ट्री के दम पर किसी को संपत्ति का पूरा हक नहीं मिलता है। संपत्ति के मालिकाना हक के लिए सिर्फ रजिस्ट्री पर्याप्त नहीं है। इसके लिए अन्य कानूनी दस्तावेजों और प्रमाणों की भी आवश्यकता होगी।
इस फैसले का असर प्रॉपर्टी होल्डर्स के लेकर रियल एस्टेट पर पड़ेगा। खासकर उनपर जो अपनी पुश्तैनी जमीन जायदाद को बेचते हैं या खरीद-फरोख्त करते हैं। इसके अलावा जो लोग विरासत की संपत्ति से संपत्ति अर्जित करते हैं, उनपर इस फैसले का असर देखने को मिलेगा। इस कानून की मदद से खरीदारों को ये तय करना चाहिए कि जिससे वो संपत्ति खरीद रहे हैं वो सिर्फ रजिस्टर्ड हैं फिर उसका स्वामित्व उनके पास है। शसंपत्ति मालिकों को सलाह दी जाती है कि वे सभी संपत्ति स्वामित्व और पंजीकरण संबंधी मुद्दों पर स्पष्टता के लिए कानूनी पेशेवरों से मदद लें।
केवल रजिस्ट्री के आधार पर संपत्ति होने का दावा नहीं किया जा सकेगा: सुप्रीम कोर्ट,
Supreme court of India