सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाने के मामले में आदेश सुरक्षित रखा
 
        Delhi, 14 August 2025,
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाने और शेल्टर होम्स में रखने का आदेश दिया था। इसके विरोध में पशु प्रेमियों ने सुप्रीम कोर्ट में इस पर पुनर्विचार की गुहार लगाई गई थी। इस मामले पर आज सुनवाई हुई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की ओर से पैरवी करते हुए कहा, मामले में पीड़ितों की संख्या ज्यादा है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया।
कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि बिना नोटिस स्वतः संज्ञान लेकर ऐसा आदेश उचित नहीं है। लावारिस कुत्तों को सड़कों पर नहीं छोड़ा जाए। यह कैसा आदेश है? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा क्या आपने आदेश पढ़ा है? सिब्बल ने कहा जी। और कहा रोक लगाने का आदेश दीजिए। फिर आगे सुनवाई कर लीजिए। सुप्रीम कोर्ट से सिब्बल से कहा दिल्ली एनसीआर के विभिन्न इलाकों से कुत्तों को हटाने का आदेश है। शेल्टर बनाने और दो माह में रिपोर्ट देने का आदेश है। इस पर सिब्बल ने कहा कि कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई हो रही है। लेकिन शेल्टर नहीं हैं । और हैं तो बहुत कम। आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए।
अधिवक्ता मनु सिंघवी ने कहा कि मिस्टर मेहता प्रीज्यूडिस हैं और संसद में दिए गए जवाब में स्पष्ट है कि रेबीज से लोग नहीं मरे हैं। कुत्तों का काटना खतरनाक है लेकिन जैसा डर दिखाया जा रहा है हालात वैसे नहीं है।
जस्टिस नाथ ने दिल्ली सरकार से पूछा कि, आपका क्या कहना है? ये नगर निगम की निष्क्रियता की वजह से हो रहा है। ये किसकी जिम्मेदारी है? जस्टिस नाथ ने कहा कि हम अभी आदेश नहीं देंगे। स्थानीय अधिकारी वह नहीं कर रहे हैं जो उन्हें करना चाहिए। उन्हें यहां जिम्मेदारी लेनी चाहिए। यहां हस्तक्षेप दर्ज कराने आए हर व्यक्ति को जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दो पक्ष हैं। एक पशुप्रेमी हैं और दूसरे जो आवारा कुत्तों से परेशान और पीड़ित हैं। एसजी ने कहा कि बच्चे मर रहे हैं। दूसरा विकल्प बाध्यकारी है। मैं एनिमल लवर हूं वो ठीक है। लेकिन आंकड़ा देखिए। रेबीज और कुत्तों के काटने का डेटा देखिए। एसजी ने कहा कि कोई जानवरों से नफरत नहीं करता। बाहर बच्चे खेलते हैं और लावारिस कुत्ते उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं। इस मामले में बहुमत उनका है जो पीड़ित हैं या परेशान हैं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि डॉग बाइट से बच्चे मर रहे हैं। नसबंदी से रेबीज नहीं रुकता है। भले ही आप उन्हें टीका लगा दें। एसजी ने एक आंकड़ा पेश किया जिसमें कहा गया कि 2024 में देश में डॉग बाइट के 37 लाख मामले दर्ज हुए। रेबीज से 305 मौतें हुईं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मॉडल के अनुसार यह संख्या अत्यधिक है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी मामला समाप्त नहीं हो रहा है। हम सभी पक्षों को सुनेंगे। अभी अंतरिम आदेश करेंगे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है।
 
                 
                 
                 
                 
                 
                