मोदी सरकार विपक्षी नेताओं को डराने और दबाव बनाने के लिए ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का उपयोग कर रही है:नेशनल हेराल्ड मामले में बोले मल्लिकार्जुन खड़गे,
Delhi 18 December 2025,
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चार्जशीट को खारिज राज एवेन्यू कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि , इस फैसले से साफ हो गया है कि यह मामला पूरी तरह राजनीतिक बदले की भावना से बनाया गया था। कोर्ट के फैसले को लेकर नई दिल्ली में आयोजित पत्रकार वार्ता में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी। यह अखबार आजादी की लड़ाई की आवाज रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार इस ऐतिहासिक अखबार को मनी लॉन्ड्रिंग जैसे झूठे आरोपों से जोड़कर बदनाम करने की कोशिश कर रही है। खरगे ने कहा कि इस पूरे मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है और केवल गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी की छवि खराब करने का प्रयास किया गया है।
खड़गे ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का उपयोग विपक्षी नेताओं को डराने और दबाव बनाने के लिए किया गया। कई नेताओं को मजबूरी में भाजपा में शामिल होना पड़ा और इसी तरह कुछ राज्यों में सरकारें बनाई गईं। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है और इससे देश की संस्थाओं की साख को नुकसान पहुंच रहा है।
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रतिक्रिया दी, और कहा कि इस केस में लगाए गए आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं। सिंघवी के मुताबिक, मनी लॉन्ड्रिंग के किसी भी मामले में यह जरूरी होता है कि पैसे या संपत्ति का अवैध लेन-देन हुआ हो, लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है। न तो किसी तरह का पैसा इधर-उधर हुआ और न ही किसी संपत्ति का ट्रांसफर हुआ। सिंघवी ने बताया कि आज भी सभी अचल संपत्तियां एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड यानी एजेएल के नाम पर ही हैं। एजेएल को कर्ज से मुक्त करने के लिए ‘यंग इंडियन’ नाम की एक नई कंपनी बनाई गई थी, ताकि कर्ज को एक जगह ट्रांसफर किया जा सके। सिंघवी ने कहा कि यह प्रक्रिया देश की कई कंपनियां अपनाती हैं और इसमें कुछ भी गैरकानूनी नहीं है। इसके बावजूद इसे मनी लॉन्ड्रिंग बताना पूरी तरह गलत और हास्यास्पद है। सिंघवी ने यह भी साफ किया कि ‘यंग इंडियन’ एक गैर-लाभकारी कंपनी है। इसके निदेशकों को न तो कोई वेतन मिलता है, न कोई डिविडेंड, न भत्ता और न ही किसी तरह का फायदा। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर किसी को निजी लाभ ही नहीं हुआ, तो मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप कैसे लगाया जा सकता है। सिंघवी ने बताया कि वर्ष 2014 में एक निजी शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिसपर जांच कराई गई। जांच एजेंसियों ने खुद अपनी फाइलों में लिखा था कि इस केस में कोई मूल अपराध नहीं बनता। इसी कारण करीब सात साल तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। इसके बावजूद जून 2021 में अचानक ईडी ने मामला दर्ज कर लिया। सिंघवी ने कहा कि इतने साल बाद केस दर्ज होना इस बात का सबूत है कि यह कार्रवाई राजनीतिक दबाव में की गई।
अदालत ने भी अपने आदेश में कहा कि केवल अधिकृत जांच एजेंसी ही एफआईआर दर्ज कर सकती थी, जो इस मामले में नहीं की गई। इसी आधार पर कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। कांग्रेस का कहना है कि अदालत के इस फैसले ने सरकार और जांच एजेंसियों की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में कांग्रेस नेताओं से लंबी पूछताछ भी की गई। बताया गया कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे सहित कई वरिष्ठ नेताओं से करीब 90 घंटे तक सवाल-जवाब किए गए। इसके बावजूद एजेंसियों को कुछ भी ठोस नहीं मिला। कांग्रेस का आरोप है कि इसके बावजूद संपत्तियां कुर्क की गईं और किराये की आमदनी तक रोक दी गई।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को देशभर में उठाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा की जा रही बदले की राजनीति को सड़कों पर उजागर किया जाएगा। कांग्रेस इस लड़ाई को जमीनी स्तर तक ले जाएगी और जनता को बताएगी कि किस तरह विपक्ष को दबाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
