लोक सभा में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 पारित।
दिल्ली, केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज लोक सभा में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023 पर चर्चा का जवाब दिया, चर्चा के बाद सदन ने तीनों विधेयकों को पारित कर दिया। चर्चा के बाद सदन ने तीनों विधेयकों को पारित कर दिया।
चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि, आपराधिक न्याय प्रणाली को चलाने वाले लगभग 150 वर्ष पुराने तीनों कानूनों में पहली बार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारतीयता, भारतीय संविधान औऱ भारत की जनता की चिंता करने वाले परिवर्तन किए गए हैं। उन्होंने कहा कि 1860 में बने भारतीय दंड संहिता का उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना था। उन्होंने कहा कि अब उसकी जगह भारतीय़ न्याय संहिता, 2023, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और इंडियन एवीडेंस एक्ट, 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएंगे। उन्होंने कहा किभारतीय आत्मा के साथ बनाए गए इन तीन कानूनों से हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा। दंड देने का उद्देश्य पीड़ित को न्याय देना और समाज में उदाहरण स्थापित करना होना चाहिए। मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है, इन नए कानूनों में भी ऐसी व्यवस्था की गयी है, जिससे कोई भी आतंकवादी बच नहीं पायेगा। मानव हत्या और महिला सुरक्षा की दिशा में न्याय नहीं, बल्कि अंग्रेजों के खजाने और ब्रिटिश ताज की रक्षा ही पुराने कानून की प्राथमिकता थी। नए कानूनों में सबसे पहले महिलाओं और बच्चों के विरूद्ध अपराधों, मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले विषयों, देश की सीमाओं की सुरक्षा…करेंसी नोट और सरकारी स्टांप के साथ छेड़खानी आदि को रखा गया है। मोदी जी ने एक ऐतिहासिक निर्णय करते हुए राजद्रोह की धारा को पूरी तरह से हटाने का काम किया है और राजद्रोह की जगह देशद्रोह को रखा गया है
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बताया कि, मोदी सरकार द्वारा लाए गये इन कानूनों के लागू होने के बाद पूरे देश में एक प्रकार की न्याय प्रणाली होगी। चाहे राम मंदिर हो, धारा 370 हो, तीन तलाक हो या महिला आरक्षण…हम जो कहते हैं, वह करते हैं। देश की सुरक्षा सबसे ऊपर है, सरकार के खिलाफ कोई कुछ भी कहे, मगर कोई देश के झंडे, सुरक्षा व संपत्ति से साथ खिलवाड़ करेगा, तो वह जेल जायेगा। अब चार्जशीट को 180 दिन में दाखिल करना होगा और 14 दिन में मजिस्ट्रेट को इसका संज्ञान लेना होगा।नए कानूनों में हमने पुलिस की जवाबदेही तय करते हुए पीड़ित केंद्रित कानून बनाने का काम किया है। गृह मंत्री ने कहा कि दया का अधिकार उसी का बनता है जो अपने कृत्य पर पछतावा करता है। न्याय प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए अब जिला एवं राज्य स्तर पर डायरेक्टर ऑफ प्रॉसीक्यूशन बनाए जाएंगे।
टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से हमने भारत की न्यायिक व्यवस्था को दुनिया में सबसे अत्याधुनिक बनाने का काम किया है।ट्रायल इन एब्सेंशिया के तहत अब अपराधियों को सज़ा भी होगी और उनकी संपत्ति भी कुर्क होगी, एक तिहाई कारावास काट चुके अंडर ट्रायल कैदी के लिए जमानत का प्रोविजन किया गया है। जांच में फॉरेंसिक साइंस के आधार पर हमने प्रॉसीक्यूशन को बल देने का काम किया गया है और बलात्कार की पीड़ित महिला का ऑडियो-वीडियो माध्यम से बयान लेना अनिवार्य किया है।
