देहरादून, उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता यूसीसी विधेयक आज सदन में पेश किया। और आज ही यूसीसी पर सदन में चर्चा शुरू होगी। विशेषज्ञ समिति के सदस्य मनु गौड़ भी सदन में मौजूद रहेंगे। यूसीसी विधेयक पर चर्चा के दौरान कानूनी सलाह दे सकें। यूसीसी विधेयक के विधानसभा में पारित होने के बाद इस कानून को लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा।
उत्तराखंड विधानसभा में पेश किए गए समान नागरिक संहिता पर प्रारुप समिति के मुख्य प्रस्ताव:-
*समान नागरिक संहिता पर प्रारुप समिति की रिपोर्ट कुल 780 पन्नों की है। प्रारुप समिति ने कुल 72 बैठकें की थीं। यूसीसी के ड्राफ़्ट में 400 से ज़्यादा धाराएं हैं। 2 लाख 33 हज़ार लोगों ने सुझाव दिए दिए हैं
* यूसीसी विधेयक में महिलाओं के अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया गया है। बहु-विवाह पर रोक और लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाने का प्रावधान है।
* यूसीसी विधेयक में लिव-इन रिलेशन में रहने से पहले रजिस्ट्रेशन को ज़रूरी कर दिया गया है।
*विधेयक में लड़कियों को भी लड़कों के बराबर विरासत का अधिकार देने का प्रस्ताव है। अभी तक कई धर्मों के पर्सनल लॉ में लड़कों और लड़कियों समान विरासत का अधिकार नहीं है।
*उत्तराखंड की 4% जनजातियों को क़ानून से बाहर रखने का प्रावधान किया गया है। मसौदे में जनसंख्या उपानियंत्रणयों और अनुसूचित जनजातियों को शामिल नहीं किया गया है।
*विधेयक में विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा गया है। विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने की दशा में सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है।
*यूसीसी विधेयक में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया का सरलीकरण किए जाने का प्रस्ताव है। मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार प्रदत किए जाने का प्रस्ताव है।
*मुस्लिम समुदाय के भीतर हलाला और इद्दत पर रोक लगाने का प्रस्ताव बिल में रखा गया है।
*पति की मृत्यु पश्चात महिला के दोबारा विवाह करने पर, प्रतिपूर्ति में माता-पिता का भी अधिकार होने का प्रस्ताव भी विधेयक में रखा गया है। इसी तरह पत्नी की मृत्यु होने पर उसके मां-बाप की ज़िम्मेदारी पति पर होगी। पति-पत्नी के बीच विवाद की दशा में, बच्चों की कस्टडी दादा-दादी को देने का प्रस्ताव है।