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समान नागरिक संहिता विधेयक -2024' विधेयक उत्तराखंड विधानसभा में पारित। - Separato Spot Witness Times
राज्य समाचार

समान नागरिक संहिता विधेयक -2024′ विधेयक उत्तराखंड विधानसभा में पारित।

देहरादून ,

समान नागरिक संहिता-2024′ विधेयक उत्तराखंड विधानसभा में पारित गया है। इसके साथ ही उत्तराखण्ड राज्य को सम्पूर्ण भारत में इस प्रकार का कानून सर्वप्रथम लाये जाने का गौरव हासिल हुआ है। समान नागरिक संहिता’ विधेयक सदन में पारित होने पर भाजपा प्रदेश कार्यालय में जश्न मनाया गया। उत्तराखंड विधानसभा में पारित होने के बाद यह विधेयक अब मंजूरी के लिए उत्तराखंड के राज्यपाल को भेजा जाएगा। राज्यपाल की मंजूरी के पश्चात ही विधेयक कानूनी रूप से अस्तित्व में आएगा।

उत्तराखंड विधानसभा के सदन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा कल पेश किए गए ” समान नागरिक संहिता उत्तराखंड -2024″ विधेयक पर पूरे दिन चर्चा की गई। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने चर्चा में भाग लिया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सदन में बताया कि, हमने संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, जिससे उन जनजातियों और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सके। इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है

इस संहिता में विवाह की आयु जहां एक ओर सभी युवकों के लिए 21 वर्ष रखी गयी है, वहीं सभी युवतियों के लिए इसे 18 वर्ष निर्धारित किया गया है। ऐसा करके हम बच्चियों का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न रोक पाएंगे।

समान नागरिक संहिता का विधेयक आदरणीय प्रधानमंत्री जी द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है।

हमारी सरकार का यह कदम संविधान में लिखित नीति और सिद्धांत के अनुरूप है। यह महिला सुरक्षा तथा महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय है” : मुख्यमंत्री

संविधान सभा ने इससे संबंधित विषयों को संविधान की समवर्ती सूची का अंग बनाया है। जिससे केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी अपने राज्य के लिए समान नागरिक संहिता पर कानून बना सकें।

मुख्यमंत्री श्री धामी ने पूर्ववर्ती सरकारों की शासन व्यवस्था पर प्रहार करते हुए कहा कि, आजादी से पहले हमारे देश में जो शासन व्यवस्था थी, उसकी सिर्फ एक ही नीति थी और वो नीति थी फूट डालो और राज करो। अपनी उसी नीति को अपनाकर उन्होंने कभी भी सबके लिए समान कानून का निर्माण नहीं होने दिया।

उन्होंने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के शब्दों में कहा जाए तो यही समय है, सही समय है। अब समय आ गया है कि महिलाओं के साथ होने वाले अत्यचारों को रोका जाए।

 

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