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विवेकानंद खंडूरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अशासकीय कॉलेजों की हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर गढ़वाल से संबद्धता पुनः बहाल किए जाने हेतु पत्र भेजा। - Separato Spot Witness Times
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विवेकानंद खंडूरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अशासकीय कॉलेजों की हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर गढ़वाल से संबद्धता पुनः बहाल किए जाने हेतु पत्र भेजा।

देहरादून 28 अगस्त 2023,

भारतीय जनता पार्टी नेता एवं उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी विवेकानंद खंडूरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गढ़वाल मंडल के दस राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय कॉलेजों की हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर गढ़वाल से संबद्धता पुनः बहाल किए जाने हेतु पत्र प्रेषित किया है।

पत्र में अवगत कराया गया है कि, उत्तराखंड में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की निरंतर बढ़ती संख्या को देखते हुए एक और सेंट्रल यूनिवर्सिटी की स्थापना किए जाने की आवश्यकता है। इस क्रम में देहरादून स्थित राज्य सरकार की “दून यूनिवर्सिटी” को भारत सरकार से सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाया जाना चाहिए। जिससे उत्तराखंड के उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्राप्त हो सकें।

‌ पत्र में बताया गया कि, यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल द्वारा, दिनांक 30 मई 2023 को आदेश जारी कर, उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के दस राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों की संबद्धता हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी श्रीनगर गढ़वाल से शैक्षणिक सत्र 2023-2024 से समाप्त कर दी गई । तथा प्रभावित सभी महाविद्यालयों को राज्य स्तरीय श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी से संबद्धता लेने के निर्देश दिए गए। उल्लेखनीय है कि, राज्य स्तरीय श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी का इन्फ्रास्ट्रक्चर, यूनिवर्सिटी के लिए निर्धारित मानकों के समकक्ष भी नहीं है। इस आदेश, के विरुद्ध प्रभावित महाविद्यालयों ने उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड में याचिका दायर की। उच्च न्यायालयूनिवर्सिटीय उत्तराखण्ड की खण्डपीठ ने दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, महाविद्यालयों को असंबद्ध करने की पूरी प्रक्रिया को अमान्य कर दिया।

उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा यह मत व्यक्त किया गया कि, केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 की धारा 4 (f) के प्रावधानों के अंतर्गत सम्मिलित राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को, राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग तथा भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के निर्देशों के आधार पर केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्तर पर संबद्धता का निर्णय नहीं लिया जा सकता है। खण्डपीठ ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के निर्णय पर पर रोक लगा दी। इसके साथ ही खंडपीठ ने महाविद्यालय में छात्रों के प्रवेश प्रक्रिया पूर्व वर्षों की भांति ही विश्वविद्यालय के निर्देशानुसार व नियमानुसार कराए जाने के आदेश दिए।

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर गढ़वाल एवं राज्य स्तरीय ” श्री देव सुमन विश्वविद्यालय” से संबद्धता के कानूनी विवाद के चलते उक्त महाविद्यालयों की प्रवेश प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हुई है। यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने इन महाविद्यालयों को असंबद्ध करने का फैसला ऐसे समय दिया जब, प्रवेश के लिए छात्र कामन यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) दे चुके थे। उच्च शिक्षा विभाग ने असंबद्ध किए गए इन

महाविद्यालयों में सीयूईटी की रैंकिंग के माध्यम से प्रवेश प्रक्रिया शुरू की है। जबकि सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी से संबद्ध महाविद्यालयों में मैरिट के आधार पर प्रवेश प्रक्रिया की जाती रही है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, एनएसयूआई सहित अन्य छात्र संगठन उत्तराखंड राज्य के उच्च शिक्षा तथा यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के खिलाफ लगातार आन्दोलन कर रहे हैं।

महाविद्यालयों के सभी छात्र संगठनों की मांग है कि प्रवेश प्रक्रिया सीईयूटी के आधार पर कराए जाने के बजाय पूर्व की भांति इण्टर की मेरिट के आधार पर की जानी चाहिए।एग्जीक्यूटिव काउंसिल के विवादास्पद निर्णय से महाविद्यालयों का शैक्षणिक माहौल गड़बड़ा गया है। इन विवादों के चलते हजारों छात्र-छात्रायें महाविद्यालयों में प्रवेश पाने से वंचित हो रहे हैं। प्रवेश प्रक्रिया के स्थाई समाधान के लिए हजारों छात्रों के हित के दृष्टिगत, एग्जीक्यूटिव काउंसिल के विवादास्पद निर्णय को निरस्त कर , इन 10 महाविद्यालय को हेमवती नंदन बहुगुणा सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पुनः संबद्ध किया जाना नितांत आवश्यक है।

इसके साथ ही उत्तराखंड में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की निरंतर बढ़ती संख्या को देखते हुए एक अतिरिक्त सेंट्रल यूनिवर्सिटी की स्थापना किए जाने की आवश्यकता है। इस क्रम में देहरादून स्थित राज्य सरकार की “दून यूनिवर्सिटी” को भारत सरकार से सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाया जाना चाहिए। जिससे उत्तराखंड के उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्राप्त हो सकें।

प्रेषित पत्र में , “दून यूनिवर्सिटी” को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के दस महाविद्यालयों को असंबद्ध करने के निर्णय को छात्रहित में निरस्त कर पूर्व की व्यवस्था को पुनः लागू करने का अनुरोध किया गया है।

 

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