सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आठ लाख रुपए सालाना आमदनी निर्धारित की।
 
        देहरादून 07 जनवरी 2022,
दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जजों की बेंच ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को मंजूरी दे दी। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की पहचान के लिए पूरे देश में एक समान आठ लाख रुपए सालाना आमदनी को आधार बनाए जाने पर विस्तृत सुनवाई की ज़रूरत है। कोर्ट द्वारा इस मसले पर मार्च के तीसरे हफ्ते में सुनवाई निर्धारित की गई है। लेकिन काउंसिलिंग तुरंत किए जाने की जरूरत है। इसलिए, हम इस साल के लिए सरकार की तरफ से अजय भूषण पांडे कमेटी की सिफारिश के मुताबिक तय की गई आय की सीमा को मंजूरी दे रहे हैं। इसमें किया गया कोई भी बदलाव अगले सत्र से लागू होगा। फिलहाल इसी आधार को बनाए रखते हुए पीजी काउंसलिंग शुरू की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाओं के जरिए जुलाई 2021 को केंद्र सरकार की तरफ से जारी की गई अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। इस अधिसूचना में इस साल से मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएशन में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण और 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण की बात कही गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि एक बार प्रवेश परीक्षा होने के बाद सीटों में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए था। याचिकाकर्ताओं ने आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के आंकलन के लिए पूरे देश में एक समान 8 लाख रुपए की सालाना आमदनी को आधार बनाए जाने पर भी आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि देश के अलग-अलग हिस्सों की स्थिति अलग है। केंद्र ने बिना इस पर विचार किए जल्दबाजी में 8 लाख रुपए आमदनी की सीमा तय कर दी है।

 
                         
                 
                 
                 
                 
                 
                